गणेश चतुर्थी
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गणपति महोत्सव का श्रीगणेश 19 सितंबर से होगा। मंगलवार को मंगलमूर्ति के मूर्तियों की स्थापना घर-घर की जाएगी। 10 दिनों तक नियमित पूजा अर्चना के बाद अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन करके गणपति को विदाई दी जाएगी। इस दौरान श्रद्धालु भक्ति से ओतप्रोत नजर आते हैं। जगह-जगह गणपति पंडाल भी सजाए जाएंगे, जहां प्रतिदिन सांस्कृतिक गतिविधियां होंगी।
गणेश उत्सव : पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा ने बताया कि गणपति बप्पा की मूर्ति लाने के लिए शुभ समय का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – 19 की सुबह 11:01 से दोपहर 1:28 बजे तक – अवधि – 02 घंटे 27 मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 18 सितंबर दोपहर 12:39 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्ति- 19 सितंबर दोपहर 1:43 बजे
गणेश विसर्जन- बृहस्पतिवार, 28 सितंबर
ऐसे करें मूर्ति स्थापना
ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि चतुर्थी के दिन ढोल-नगाड़ों के साथ विघ्नहर्ता को धूमधाम से घर लाना चाहिए। मूर्ति स्थापित करने के लिए सुबह स्नान के बाद भगवान गणेश का मंत्र जाप करते हुए एक सुंदर चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं। उसके ऊपर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान गणपति का मुख उत्तर दिशा की ओर रखें। इसके बाद गणपति का सुंदर वस्त्र, आभूषण, कलावा, अक्षत, पुष्प, माला मुकुट आदि से शृंगार करें। लाल चंदन से भगवान का तिलक करें। इसके बूंदी के लड्डू या मोदक के साथ पंचामृत, पांच फल और पंचमेवा का भोग लगाएं। धूप-दीप से आरती करें।
चतुर्थी पर हुआ था गणपति का जन्म
ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन गणपति का जन्म हुआ था। गणेश जी की पूजा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन नए कामों की शुरुआत करना शुभ होता है।
न देखें चंद्रमा, कलंक लगने की मान्यता
ज्याेतिषाचार्य के मुताबिक, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित होता है। गणेश पुराण के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण पर स्यमंतक मणि चोरी करने का गलत आरोप लगा था। तब नारद ऋषि ने बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) को चंद्रमा देख लिया था और इसी कारण शापित हो गए थे। अगर भूलवश कोई व्यक्ति चंद्रमा को देख ले तो वह मोली में 21 दूर्वा बांधकर मुकुट बनाए और भगवान विनायक को अर्पित कर दे। इससे चंद्र दर्शन से दोष मुक्त हो जाएगा।