सांकेतिक तस्वीर।
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मेरी बेटी और भतीजी से शोहदों ने खींचतान की। उन्हें धमकाया व डर दिखाया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी की। राज्य महिला आयोग में शिकायत करनी पड़ी। 48 दिन बाद मुकदमा दर्ज किया। मगर, कोई कार्रवाई नहीं हुई। तनाव में आई बेटी ने आत्महत्या कर ली। बेटी की मौत के बाद पुलिस जागी। फिर भी कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। एक आरोपी को जेल भेजा। बाकी कब जाएंगे, यह कोई नहीं बता रहा। यह बात अवधपुरी में छेड़छाड़ से परेशान होकर आत्महत्या करने वाली युवती के पिता ने मामले की विवेचना कर रहे विवेचक से कहीं। वह बेटी की मौत से दुखी है। अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
पिता ने बताया कि शुक्रवार को छह महीने पुरानी घटना में विवेचक राजीव कुमार महिला सिपाही के साथ बयान दर्ज करने आए थे। भतीजी ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसलिए उससे काफी देर तक पूछताछ की। बयान दर्ज करने के बाद घटनास्थल पर भी गए। मगर, अब वहां क्या मिल सकता था? घटनास्थल देखने के बाद विवेचक चले गए। पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो आरोपियों की पहचान हो सकती थी। बेटी और भतीजी को एक जनवरी को दो युवकों ने रोका था। इसके बाद खींचतान की थी। पड़ोसी अमर सिंह की शिकायत करने पर अपहरण की धमकी देकर गए थे।
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