हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग है।
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ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर की तत्काल पूजा के लिए दाखिल नए वाद की सुनवाई शनिवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन शिखा यादव की अदालत में होगी। यह वाद ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिष्य व आदि विश्वेश्वर डोली रथ यात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी शैलेंद्र योगीराज सरकार की तरफ से दाखिल किया गया है। इसमें स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश व अन्य को पक्षकार बनाया गया है। सावन में अधिमास की वजह से पूजा की अनुमति आवश्यक बताई गई है।
अधिवक्ता के जरिये दाखिल वाद में कहा गया है कि हिंदू धर्म के लोग सावन के अधिमास में मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करते हैं। ज्ञानवापी परिसर में साक्षात शिवलिंग प्रकट हुआ है। शिवलिंग की पूजा अत्यंत आवश्यक है। अति शीघ्र ही ज्ञानवापी परिसर में प्रकट हुए आदि विश्वेश्वर की पूजा-अर्चना और राग-भोग का अधिकार दिया जाना चाहिए।
वादी के अधिवक्ता डॉ. एसके द्विवेदी बच्चा ने गत बुधवार को कहा था कि अधिमास में पूजा-अर्चना का अधिकार मिलना ही चाहिए। शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने सरकार की तरफ से इसका विरोध किया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद वादी को पक्षकारों को नोटिस देने की समय सीमा में छूट देने के अनुरोध को स्वीकार किया था। साथ ही, वाद को मूलवाद के रूप में पंजीकृत कर सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तिथि तय की थी।
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