ज्ञानवापी
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वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे के खिलाफ दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रखते हुए सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तिथि तय की है। तब तक सर्वे पर रोक भी बरकरार रहेगी। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने लगातार दूसरे दिन मामले पर सुनवाई की। हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों के साथ ही वाद दाखिल करने वाली महिलाओं के वकील भी मौजूद रहे। यूपी सरकार के महाधिवक्ता और एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आलोक त्रिपाठी भी उपस्थित रहे। सर्वेक्षण के विरोध में दाखिल याचिका पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने कहा कि देश ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को झेला है। जल्दबाजी में वैज्ञानिक सर्वे से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान होगा। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। एएसआई ने यह भी कहा, सर्वे का पांच फीसदी काम हो चुका है, कोर्ट की इजाजत मिली तो 31 जुलाई तक इसे पूरा कर लेंगे। एएसआई ने दावा किया, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की अत्याधुनिक तकनीक से किसी भी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है।
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हाई अलर्ट पर पुलिस, सोशल मीडिया की निगरानी
जिले के माहौल को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है। जिले के मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस और पीएसी की पैदल गश्त जारी है। पुलिस की ओर से अपील भी की जा रही है। कहा जा रहा है कि अफवाहों के चक्कर में न पड़ें। कोई अफवाह फैलाए तो उसकी सूचना तत्काल पुलिस को दें। पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ने तीनों जोन के डीसीपी, एडीसीपी, एसीपी और थानेदारों को अतिरिक्त सतर्कता के साथ ड्यूटी करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी के आवेदन पर ज्ञानवापी स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य हिस्से के सर्वे का एएसआई को आदेश दिया था। 24 जुलाई को एएसआई की टीम लगभग साढ़े पांच घंटे तक ज्ञानवापी में माप-जोख और साइट निरीक्षण का काम की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से बृहस्पतिवार तक सर्वे के काम पर रोक लगी हुई है।