दाऊजी मेला के आयोजन से पहले शहर के सासनी गेट चौराहे के निकट लगाई गई हलवा परांठा व खजला की दुकान
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मेला श्रीदाऊजी महाराज के आयोजन में अभी 10 दिन का समय बाकी हैं, लेकिन शहर में हलवा-परांठा व खजला की दुकानें सज गई है। पिछले चार दिन में एक दर्जन दुकानदारों ने अपनी दुकानें लगाई हैं। इन दुकानों पर हलवा-परांठा व खजला की बिक्री भी शुरू हो गई है। सिकंदराराऊ के साथ ही अलीगढ़ व बुलंदशहर व मेरठ आदि के लोगों ने यहां आकर दुकानें लगाई हैं।
दाऊजी मेले के दौरान हलवा-परांठा व खजला की बिक्री काफी प्रचलित है। सामान्य तौर पर मेला बाजार में ही इनकी दुकानें लगाई जाती थीं, लेकिन इस बार शहर के अंदर भी एक दर्जन से अधिक हलवा-परांठा की दुकानें सज गई हैं।
बाहर से आए कई व्यापारियों ने शहर में दुकानें किराये पर लेकर हलवा-परांठा व खजला बनाना शुरू कर दिया है। इस साल मेला के बाहर 120 रुपये किलो की दर से हलवा पराठा व 120 रुपये किलो की दर से ही खजला की बिक्री की जाएगी। बात अगर मेला परिसर की करें तो माना जा रहा है कि यहां इनके दामों में 30 रुपए किलो से अधिक का इजाफा हो सकता है।
नुकसान कर सकता है बाजार में बना हलवा-पराठा
सामान्य तौर पर सूजी से बने व्यंजन काफी फायदेमंद होते हैं, लेकिन मेला के दौरान बाजार में मिलने वाला सूजी का हलवा-परांठा स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में मिलने वाले हलवा-परांठे में नुकसान पहुंचाने वाले वनस्पति तेलों का इस्तेमाल किया जाता है। परांठा पूरी तरह से मैदा का होता है और इसे पूरी तरह से घी में तला जाता है। हलवे में भी चिकनाई व मीठे की मात्रा अत्यधिक होती है, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
मेले में मिलने वाला हलवा-परांठा व खजला तैयार किए जाने में जिस तरह के तेल का प्रयोग किया जाता है, वह नुकसानदायक हो सकता है। इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम किए जाने की कोशिश करनी चाहिए। बेहतर है हलवा-परांठा या पूरी घर में शुद्धता के साथ तैयार कर इनका सेवन किया जाए। -पारुल जौहरी, डायटीशियन, बागला जिला चिकित्सालय, हाथरस।