मोहल्ला बर्फ खाने में गोपालजी के पालने बनाते कारीगर
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक बार फिर हाथरस में बने पालने में लड्डू गोपाल झूलेंगे। शहर के मेटल हैंडीक्राफ्ट कारोबारी त्योहार को भुनाने की तैयारी में जुट गए हैं। फैक्टरियों में पालना और अन्य खिलौने बनाने का काम जोरों पर चल रहा है, लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार पालना की कीमत महंगी हो गई है। इसकी वजह मजदूरी के साथ तांबा और पीतल धातु के दामों में व़ृद्धि होना है। पिछले साल के मुकाबले इनके दाम पांच से दस फीसदी तक बढ़ गए हैं।
कई प्रदेशों के साथ ही मथुरा-वृंदावन में भी हाथरस में बने पालनों की अच्छी मांग है। शहर के मोहल्ला बंदरवन, बर्फखाना, बागला मार्ग में स्थापित फैक्टरियों में पीतल, तांबा व एल्युमीनियम धातु से पालना तैयार किए जा रहे हैं। कुछ जगह पर स्टील के पालने बनाने का काम भी चल रहा है। मेटल के अंतर्गत कुछ फैक्ट्रियों में पीतल के साथ एल्युमीनियम व जस्ते की मिलावट कर ऑयटम तैयार किए जा रहे हैं, जिनके दाम इस साल पांच से छह सौ रुपये किलो तक के हैं।
पिछले साल की अपेक्षा इस साल मजदूरी व धातुओं पर कुछ बढ़ोतरी होने के कारण मैटल के पालनों के दाम पांच से दस फीसदी तक बढ़े हैं। इसके बावजूद देश भर से इनकी अच्छी-खासी मांग है। खास तौर पर मथुरा-वृंदावन से पीतल के पालनों की बड़ी मांग हाथरस मंडी को मिल रही है। इसके साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और मध्यप्रदेश में भी हाथरस के पालनों की अच्छी आपूर्ति की जा रही है।
मेटल से बने गोपालजी के पालनों के दामों में इस साल कुछ तेजी है, लेकिन इसको पीतल, एल्युमीनियम और जस्ता आदि से समायोजित किया जाता है। इस साल बाहर की मंडियों से काफी अच्छी मांग आ रही है। अब तक आधी से अधिक तो आपूर्ति की जा चुकी है। -यश वर्मा, मैटल हैंडीक्राफ्ट कारोबारी
हमारे यहां सीधे तौर पर पीतल का काम होता है। पांच फीसदी तक की महंगाई इस साल हमारे उत्पादों पर है। छह सौ रुपये किलो तक हम माल की आपूर्ति कर रहे हैं। इस समय सबसे अधिक आपूर्ति मथुरा व वृंदावन के लिए की जा रही है। दोनों ही जगह से इस समय अच्छी मांग है। -रजत वर्मा, मेटल हैंडीक्राफ्ट कारोबारी