काकोड़ी गौशाला में जमीन पर पड़े गोवंश अवशेष
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हाथरस में चंदपा की ग्राम पंचायत ककोड़ी स्थित अस्थायी गोशाला में गोवंश की देखभाल में लापरवाही सामने आई है। गोशाला में 16 अक्तूबर की रात को एक गोवंश को जंगली जानवरों ने नोचकर मार डाला। 18 अक्तूबर की सुबह गोवंश के शव के अवशेष और हड्डियां मौके पर मिलीं। मौके पर पहुंचे गो सेवकों ने इसे लेकर हंगामा किया। चंदपा कोतवाल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गईं और समझा-बुझाकर गो सेवकों को शांत किया।
जिले में जगह-जगह करोड़ों रुपये खर्च करके अस्थायी गोशालाएं इसलिए बनवाई गई हैं, ताकि उनमें छुट्टा गोवंश को संरक्षित और सुरक्षित रखा जा सके, लेकिन गांव ककोड़ी में हुई घटना ने गोशालाओं में गोवंश की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को गोशाला में पहुंचे गो सेवकों को जगह-जगह मृत गोवंश के अवशेष मिले। गोशाला में चारा और पानी की व्यवस्था भी सही नहीं थी। गोवंश की बदहाल स्थिति को देख गो सेवकों ने हंगामा शुरू कर दिया।
चंदपा कोतवाली पुलिस के अलावा नायब तहसीलदार सदर, एडीओ पंचायत, सचिव, ग्राम प्रधान और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अपनी टीम के साथ गोशाला पहुंच गए। अधिकारियों ने गो सेवकों को समझा-बुझाकर शांत किया। उनकी मौजूदगी में गोवंश के अवशेषों को दफन कराया। कहने को तो पूरी गोशाला का परिसर तार की फैंसिंग से घिरा है, फिर भी जंगली जानवरों का आतंक यहां कम नहीं हो रहा। किसी भी तरीके से जंगली जानवर तारों के नीचे से मिट्टी खोद कर गोशाला में प्रवेश कर जाते हैं और आए-दिन किसी न किसी गोवंश को अपना शिकार बना लेते हैं।
विश्व हिंदू परिषद के गोरक्षा विभाग के दायित्व वाहक राहुल उपाध्याय ने बताया उन्हें कई दिनों ने गोशाला की बदहाल स्थिति की सूचना मिल रही थी। इस कारण मंगलवार की सुबह जब वह टीम के साथ यहां पहुंचे तो गोशाला की स्थिति दयनीय मिली। गोवंश के लिए चारा उपलब्ध नहीं मिला। पीने के पानी में कीड़े तैरते मिले। एक गोवंश मृत मिला, जिसे जो किसी जानवर ने नोच लिया था। कुछ मृत गोवंश के हड्डियों के अवशेष जगह-जगह मिले। सुबह के समय जब गो सेवक यहां पहुंचे तो गोशाला पर ताला मिला।
काकोड़ी गोशाला में एक गोवंश मृत अवस्था में मिला था। उसके शव का ग्राम प्रधान और सचिव ने अंतिम संस्कार करा दिया है। गोवंश के अवशेष मिलने का मामला संज्ञान में नहीं है। दो-तीन गोवंश को उपचार की आवश्यकता थी, लेकिन हमारे पहुंचने से पहले ही उनको उपचार दे दिया गया। चारा और पानी की समुचित व्यवस्था के लिए पंचायत सचिव और प्रधान को निर्देशित किया गया है। -मदनपाल सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी