हिमाचल में भूकंप
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हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में भूकंप के झटके महसूस किये गये हैं। रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 3.4 रही। अभी किसी तरह की हानि की सूचना नहीं है। जानकारी के अनुसार भूकंप बुधवार रात 11.20 पर आया।
An earthquake of magnitude 3.4 hits Himachal Pradesh’s Lahaul and Spiti district: National Center for Seismology pic.twitter.com/OYpm03Ax3g
— ANI (@ANI) August 9, 2023
गौरतलब है कि पिछले महीने हिमाचल के कांगड़़ा जिले में भूकंप आय़ा था। भूकंप की तीव्रता 3 थी और इसका केंद्र जमीन के नीचे 5 किलोमीटर में था इसलिए किसी तरह का नुकसन नहीं हुआ।
1905 के भूकंप में 20 हजार से ज्यादा गईं थीं जानें
बता दें हिमाचल भूकंप की दृष्टि से सीस्मिक जोन चार और पांच में आता है। कांगड़ा, चंबा, लाहौल, कुल्लू और मंडी भूकंप की दृष्टि से सबसे अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। कांगड़ा में 4 अप्रैल, 1905 की अल सुबह आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप में 20 हजार से ज्यादा इंसानी जानें चली गई थीं। भूकंप से एक लाख के करीब इमारतें तहस-नहस हो गई थीं, जबकि 53 हजार से ज्यादा मवेशी भी भूकंप की भेंट चढ़ गए थे।
कैसे आता है भूकंप?
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
भूकंप की तीव्रता के संकेत…
- रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं।
- इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते।
- वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।
- लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।