आज से 78 साल पहले जापान ने जो तबाही का मंजर देखा था, शायद ही उसे इतिहास में भूला जा सकता है। छह अगस्त 1945 का वह दिन था, जब अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया था।
परमाणु बम ने हिरोशिमा में 4000 डिग्री से भी ज्यादा की गर्मी पैदा की और देखते ही देखते पल भर में शहर तबाह हो गया। केवल हिरोशिमा ही नहीं बल्कि इसके तीन दिन बाद नागासाकी में भी परमाणु बम गिराकर अमेरिका ने यहां भी तबाही मचा दी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने के लिए गिराया गया था बम
साल 1939 में शुरू हुए विश्व युद्ध को छह साल हो चुके थे, लेकिन जंग थमने का नाम नहीं ले रहा था। जापान उस समय भी एक ताकतवर देश हुआ करता था और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगातार हमले कर रहा था।
इसे रोकने के लिए अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराकर जापान को न भूलने वाला दर्द दे दिया। अमेरिका ने हिरोशिमा में लिटिल बॉय और नागासाकी में फैट बॉय नामक परमाणु बम गिराया था।
पल भर में तबाह हो गया शहर
हिरोशिमा पर परमाणु बम का असर ऐसा हुआ कि पल भर में ही 40,000 लोग मौत की नींद सो गए। परमाणु हमले का असर ऐसा था कि इस शहर के आसपास बसे शहरों में भी परमाणु विकिरण के कारण कई सालों तक अपंग बच्चे पैदा होते रहें।
अपने दो शहरों को बुरी तरह से जलता देख आखिरकार जापान ने अमेरिका के सामने सरेंडर किया, जिसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ। दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने अमेरिका के नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर हमला किया था, जिसका जवाब अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर दिया।
जापान ने परमाणु बम नहीं बनाने की खाई कसम
परमाणु बम का असर ऐसा दिखा की कई सालों तक जापान के इस शहर में रहने वाले लोग विकिरण बीमारी, जलन और अन्य घावों के कारण मरते रहे। इस हमले से हिरोशिमा में कुल एक लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
इस तबाही को देखते हुए जापान ने परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और कभी परमाणु बम नहीं बनाने का संकल्प लिया। जापान के दो शहर को तबाह करने के बाद आज तक अमेरिका ने इसके लिए माफी नहीं मांगी है।