अमेरिका ने भारत पाकिस्तान के बातचीत का किया समर्थन
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को एक बयान में कहा कि अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू कराने का समर्थक है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ‘जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच चिंता वाले मुद्दों पर सीधी बातचीत का समर्थन करेंगे।’ खास बात ये है कि अमेरिका का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की पांच अगस्त को वर्षगांठ है।
पाकिस्तानी पीएम ने जताई थी बातचीत की इच्छा
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में अपने एक बयान में भारत के साथ बातचीत करने की इच्छा जाहिर की थी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इसी बयान को लेकर अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता से सवाल किया गया था। सोमवार को इस्लामाबाद में मिनरल्स सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने कहा था कि देश को फिर से बनाने के लिए वह पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।
पहले भी बातचीत की पेशकश कर चुका है अमेरिका
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत का समर्थन किया हो। इसी साल मार्च में भी अमेरिका के विदेश विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि अमेरिका दोनों देशों में बातचीत कराने के लिए तैयार है लेकिन पहले इसके लिए दोनों देश तैयार हों। नेड प्राइस ने कहा था कि अमेरिका दोनों देशों के सहयोगी के तौर पर बातचीत के लिए मधयस्थता करने के लिए तैयार है।
ये भी पढ़ें- Pakistan: कंगाल पाकिस्तान को भारत के इस फैसले से मिली मदद; गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक से हुआ फायदा
इस्राइल और सऊदी अरब में भी मधस्थता कर रहा अमेरिका
गौरतलब है कि अमेरिका कभी एक दूसरे के सबसे बड़े विरोधी रहे सऊदी अरब और इस्राइल के बीच भी बातचीत के लिए मध्यस्थता की भूमिका निभा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते हफ्ते इस्राइल के खूफिया विभाग के प्रमुख ने अमेरिका का दौरा किया था। इस दौरान अमेरिका के एनएसए जैक सुलिवन और मोसाद चीफ डेविन बार्निया के बीच लंबी बातचीत हुई थी। जैक सुलिवन ने हाल ही में सऊदी अरब का भी दौरा किया था। मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात की चर्चा है कि अमेरिका, इस्राइल और सऊदी अरब के बीच बातचीत करा रहा है और दोनों देशों के बीच जल्द ही कूटनीतिक रिश्ते कायम हो सकते हैं।