अखिलेश यादव व राहुल गांधी (फाइल)।
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इंडिया गठबंधन ने भोपाल में पहली जनसभा करने की बात कहकर भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इसके जरिए विपक्षी गठबंधन अपनी ताकत दिखाना चाहता है। लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस गठबंधन की राह में अभी भी बहुत रोड़े दिखाई पड़ रहे हैं। यहां विपक्ष के सबसे बड़े दलों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में अभी भी कई मुश्किलें नजर आ रही हैं। वहीं मायावती ने अलग चुनाव लड़ने की बात कहकर विपक्षी दलों की मुश्किलें पहले से ही बढ़ा रखी हैं।
इन परिस्थितियों के बीच खबर है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं। कांग्रेस को लग रहा है कि समाजवादी पार्टी ने उसके साथ का लाभ लेकर घोसी विधानसभा का उपचुनाव जीत लिया है। लेकिन उसके असहयोग के कारण उसे उत्तराखंड मेंं एक अच्छी सीट गंवानी पड़ी है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय ने बुधवार को एक जनसभा के दौरान कहा कि घोसी सीट का उपचुनाव जीतने से यही संकेत गया है कि यदि सभी विपक्षी दल साथ आकर चुनाव लड़ते हैें तो भाजपा को न केवल मजबूत टक्कर दी जा सकती है, बल्कि उसे करारी हार भी दी जा सकती हैृ। यह दिखाने के लिए ही कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को अपना पूर्ण समर्थन देने के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
लेकिन अब कांग्रेस को मलाल है कि समाजवादी पार्टी ने उससे लाभ तो ले लिया, लेकिन उत्तराखंड में कोई जनाधार न होते हुए भी अपना प्रत्याशी उतार दिया। इससे दोनों दलों के बीच वोट बंट गए और भाजपा जीत गई। कांग्रेस को लग रहा है कि यदि समाजवादी पार्टी ने उत्तराखंड में अपना प्रत्याशी न उतारा होता तो वह वहां से जीत दर्ज कर सकती थी।
क्या यूपी के समीकरण बिगड़ेंगे
यूपी कांग्रेस के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि देश के इस सबसे बड़े सूबे में यदि भाजपा को हराने के लिए दोनों दल पूरी तरह साथ आएंगे तभी बात बनेगी। लेकिन यह साथ केवल कहने के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि सीटों में उसे भी बड़ी हिस्सेदारी देनी पड़ेगी। यदि समाजवादी पार्टी सीटों के मामले में उदारता नहीं बरतती है तो दोनों के साथ आने की राह कठिन हो सकती है।