भारतीय सेना
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भारतीय सेना अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ताकत बढ़ा रही है। इसी क्रम में सेना ने छह तेज गश्ती नौकाएं, आठ लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (एलसीए) और 118 एकीकृत निगरानी प्रणाली खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों ने मंगलवार को इस खरीद प्रक्रिया को लेकर जानकारी दी है। अधिकारियों ने कहा कि इन सभी को सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। तेज गश्ती नौकाओं को मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील आदि में निगरानी के लिए खरीदा जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि सेना ने तेज गश्ती नौकाओं, एलसीए और इंटीग्रेटेड सर्विलांस सिस्टम की खरीद के लिए सूचना के लिए अनुरोध (आरएफआई) या प्रारंभिक निविदाएं पहले ही जारी कर दी हैं। तेज गश्ती नौकाओं के लिए जारी की गई आरएफआई में कहा गया है कि गश्ती जहाजों को मजबूत होना चाहिए ताकि छोटी टीम के प्रवेश, निगरानी, टोही और गश्त निर्बाध रूप से की जा सके। साथ ही इन गश्ती जहाजों को इलाके और परिस्थितियों के विभिन्न मैट्रिक्स में काम करने के लिए सक्षम बनाना होगा। इसमें कहा गया है कि स्वदेशी रूप से विकसित नौकाओं की अधिकतम गति 29 नॉट (समुद्र राज्य स्तर 2 पर) होनी चाहिए। साथ ही इसे आठ लोगों के हिसाब से तैयार किया जाना चाहिए।
वहीं, एलसीए (लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट) के लिए सेना द्वारा जारी प्रारंभिक निविदा में कहा गया है कि इन्हें क्रीक क्षेत्र और नदी घाटियों में खोज और बचाव कार्यों के लिए तैनात किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि एलसीए की लंबाई 13-14 मीटर के बीच होनी चाहिए और अधिकतम गति 20 नॉट से कम नहीं होनी चाहिए। बता दें कि लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (एलसीए) का इस्तेमाल आमतौर पर सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है।
तेज गश्ती नौकाओं के साथ-साथ एलसीए के लिए प्रारंभिक निविदाओं के लिए आवेदन या प्रस्ताव की अंतिम तिथि 28 नवंबर है। बता दें कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बलों द्वारा उपयोग के लिए ये एकीकृत निगरानी प्रणाली खरीदी जा रही है। ये सिस्टम ‘भारतीय खरीद’ श्रेणी के तहत खरीदे जा रहे हैं। इस श्रेणी के तहत खरीदे जाने वाले हथियार और सुरक्षा प्रणालियों में 60 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव टकराव के कारण भारत और चीन के बीच बीते तीन सालों से तनाव की स्थिति है। हालांकि, तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों ने वार्ता जारी रखी है। इसी क्रम में कई दौर की राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली है।