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केंद्र सरकार ने सोमवार को भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) पर एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाते हुए उससे खुद को अलग कर लिया। सरकार ने यह निर्णय एसोसिएशन की ओर से आयोजित किए जाने वाले वार्षिक कार्यक्रम भारतीय विज्ञान कांग्रेस-2024 का आयोजन स्थल लखनऊ विश्वविद्यालय से बदलकर जालंधर में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी करने के बाद लिया। इसके अलावा संगठन पर वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित कई आरोप भी सामने आए हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कहा कि वैज्ञानिक विभागों के सभी सचिवों को नोटिस जारी कर जानकारी दे दी है कि आगामी आईएससी कार्यक्रम के लिए डीएसटी की ओर से कोई भी संसाधन या समर्थन उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। नोटिस में इसके अलावा यह भी कहा गया है कि आईएससीए का वार्षिक आयोजन पहले ही वैज्ञानिक समुदाय के बीच अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। कई मोर्चों पर बैठक के संचालन में पेशेवर दृष्टिकोण का अभाव है। इसमें आईएससीए के कार्यकारी सचिव को सरकार की मंजूरी के बिना आयोजन के संबंध में सरकारी खजाने से कोई खर्च वहन नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
आईएससीए ने दिया बयान
इस घटनाक्रम को लेकर आईएससीए के कार्यकारी सचिव रंजीत वर्मा ने कहा कि आईएससीए की कार्यकारी समिति और उसके महासचिव को आईएससी की मेजबानी करने वाले विश्वविद्यालय पर निर्णय लेने का अधिकार है, इसके लिए डीएसटी से परामर्श करने की जरूरत नहीं है। आईएससीए ने कार्यक्रम के आयोजन में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करते हुए डीएसटी के खिलाफ अदालत का रुख भी किया है। वर्मा ने कहा कि डीएसटी ने सिर्फ जनवरी 2024 में होने वाले आयोजन के लिए आईएससीए को फंडिंग पर रोक लगाई है।
1914 से हर साल वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन करता है आईएससीए
भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) 1914 से हर साल आईएससी का आयोजन करता है। आजादी के बाद से वैज्ञानिकों की वार्षिक सभा का उद्घाटन प्रधानमंत्री करते हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री वैज्ञानिक समुदाय के साथ बातचीत करते हैं। संगठन की ओर से आयोजन को लेकर पिछले कुछ वर्षों में सरकार और आईएससीए के बीच मतभेद होते रहे हैं। सरकार 2015 से भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) को एक समानांतर कार्यक्रम के रूप में प्रचारित कर रही है।