इस्राइल-हमास हमला।
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इस्राइल और हमास के बीच युद्ध जारी है। शनिवार सुबह इस्राइल पर हमास ने दनादन मिसाइल दाग दिए, जिसके बाद इस्राइल ने भी जवाबी हमले किए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 200 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक इस्राइल की जवाबी कार्रवाई में मारे गए हैं। इस बीच भारत में इस्राइल के राजदूत ने कहा कि उनका देश रॉकेट हमलों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उनका देश भविष्य के हमलों को रोकने के लिए आरोपियों को दंडित करेगा।
कई लोगों को हमास ने मार डाला
भारत में इजराइल के राजदूत नाओर गिलोन ने शनिवार को कहा कि शनिवार सुबह इस्राइली अपने बिस्तर पर ही थे कि तभी गाजा के आतंकी संगठन हमास ने हमला कर दिया। दोनों तरफ से उसने मिसाइलें दागीं। बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सहित कई लोगों को उन्होंने मार डाला और कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस्राइल हमास के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेगा। इस्राइल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा और सुनिश्चित करेगा कि दुश्मन आगे कभी भी इस तरह के हमले न करे।
इस्राइल के जीतने का विश्वास
इस्राइली दूत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा है कि उन्होंने संकट की इस घड़ी में इस्राइल और इस्राइली सरकार का समर्थन किया है। हमें विश्वास है कि हम जीतेंगे। इस्राइल जीतेगा।
40 इस्राइलियों की मौत
इस्राइली मीडिया के अनुसार, हमास के रॉकेट हमले के कारण अब तक 200 इस्राइलियों की मौत हो गई है। वहीं, 700 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस्राइली स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 779 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया है। इस्राइली रक्षा बलों ने हमास के खिलाफ जवाबी हमले के लिए ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड्स शुरू किया है। इस्राइली रक्षा बल कफर अजा, सडेरोट, सूफा, नाहल ओज, मैगन, बेरी और रीम सैन्य अड्डे सहित अन्य शहरों में हमास के आतंकियों का समाना कर रही है।
ऐसे हुआ इस्राइल देश का उद्भव
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया। वहीं दूसरी तरफ यहूदी और अरब के लोगों के बीच का मतभेद भी काफी ज्यादा बढ़ गया था। ब्रिटेन इस मसले को हल करने में सक्षम नहीं था, इसलिए उसने यह मसला संयुक्त राष्ट्र संघ में भेज दिया। इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में वोटिंग हुई और नतीजा निकला कि जहां यहूदियों की संख्या ज्यादा है ,उन्हें इस्राइल दिया जाएगा। वहीं जिस जगह पर अरब बहुसंख्यक हैं, उन्हें फिलिस्तीन दिया जाएगा। तीसरा था यरूशलम, इसे लेकर काफी मतभेद थे। यहां आधी आबादी यहूदी थी और आधी आबादी मुस्लिम। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने फैसले में कहा कि इस क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण लागू होगा। यूएन के फैसले के बाद 14 मई 1948 इस्राइल का उद्भव हुआ था।