भारत में सात सितंबर को हर्षोल्लास के साथ भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। मथुरा से लेकर वृंदावन और वृंदावन से लेकर द्वारका हर तरफ सिर्फ जन्माष्टमी की धूम ही देखनी मिली। मथुरा के ठाकुर श्रीकेशव देव महाराज मंदिर में रात 12 बजे भगवना कृष्ण का जन्म हुआ। भगवान का जन्म होते ही घंटे-घड़ियाल बजाए गए और भक्तों के जयकारों से पूरा शहर गूंज उठा।
इस्कॉन मंदिर में सुबह से ही देशी-विदेशी भक्तों का तांता लगा रहा। श्रीराधे की धुन पर नाचते-गाते भक्त आराध्य के जन्म का इंतजार करते रहे। इससे पहले भक्तों ने मंदिर को देशी-विदेशी पुष्पों से सजाया। भव्य पुष्प बंगला में प्रभु राधाकृष्ण, कृष्ण बलराम एवं निताईगौर को विराजमान किया और शृंगार आरती की गई। इसके दर्शन के लिए भक्तजनों में होड़ मच गई।
बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती के बाद मंदिर के गोस्वामी समाज की महिलाएं और गोस्वामीजन घर पर बने मिगी पाग, धनिया की पंजीरी और मोहन भोग चांदी के थालों में सजाकर मंदिर लाए और कन्हैया का भोग लगाया। इस दौरान गोस्वामीजनों ने मदिरों में अपने लाड़ले ठाकुर के जन्म की खुशी में पदों का सस्वर गायन किया, जिसे सुन श्रद्धालु भक्ति रस में सराबोर हो गए।
भारत के अन्य क्षेत्रों सहित जम्मू-कश्मीर में भी जन्माष्टमी की धूम देखने मिली। कश्मीर के नौशेरा बाजार से भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभा यात्रा की शुरुआत प्राचीन-ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर से गुजराल चौक होते हुए मुख्य बस अड्डे पहुंची। यहां पर युवाओं द्वारा मटकी फोड़ कार्यक्रम आयोजित किया गया।
वृंदावन चंद्रोदय मंदिर के दक्षिण भाग में बने विशाल हॉल में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया। रात आठ बजे लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक किया गया। साढे आठ बजे भगवान राधाकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित भजन पेश किए गए। दस बजे ठाकुर राधा वृंदावन चंद्र का 108 कलशों से मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने फलों के रस, पंचामृत दूध, दही, घृत, शहर और बूरा, औषधियों और पुष्पों से महाभिषेक किया।