Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर करीब 23 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सभी पक्षकारों को 27 जुलाई तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा।
बाद में बदलाव की नहीं होगी अनुमति
अदालत ने कहा कि 27 जुलाई तक सभी पक्ष इस मामले में अपना जवाब दाखिल करा दें, उसके बाद कोई बदलाव कराने की अनुमति नहीं होगी। इसके बाद दो अगस्त को अगली सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र के नए हलफनामे पर विचार करने से भी इनकार कर दिया।
दो अगस्त से लगातार होगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का कहना है कि याचिकाओं की सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर रोजाना आधार पर होगी। वहीं, कोर्ट ने सुनवाई को आसान बनाने के लिए दो अधिवक्ताओं को नोडल वकील के रूप में भी नियुक्त किया है।
एक ने याचिका से वापस लिया अपना नाम
वहीं, दूसरी ओर आईएएस अधिकारी शाह फैसल और कार्यकर्ता शेहला रशीद ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दी गई अपनी याचिकाओं को रद करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वह इस मामले से हटना चाहते हैं। अदालत के रिकॉर्ड से अपना नाम हटाना चाहते हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता के रूप में उनके नाम हटाने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।
न्याय की उम्मीद
नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम साल 2019 से इस दिन का इंतजार करते आए हैं क्योकि हमें लगता है कि हमारा केस मजबूत है। हम सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद भी रखेंगे और गुजारिश करेंगे कि इसमें जल्द से जल्द सुनवाई हो। उन्होंने आगे कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद करते हैं, जो नाइंसाफी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ 5 अगस्त 2019 को हुई, जो धोखा हुआ, कानून का धज्जियां उड़ाई गई उसका जवाब सुप्रीम कोर्ट से मिले।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में रखा था अपना पक्ष
गौरतलब है, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व स्थिरता का दौर है। तीन दशकों की उथल-पुथल के बाद क्षेत्र में जीवन सामान्य हो गया है। राज्य में लगातार प्रगति हो रही है। तीन वर्षों में स्कूल, कॉलेज और अन्य सार्वजनिक संस्थान कुशलता से काम कर रहे हैं। पत्थरबाजी अतीत की बात हो गई है। अब घाटी के लोगों को भी वह अधिकार प्राप्त हैं, जो देश के दूसरे प्रांतों के लोगों को हैं। आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडे के तहत 2018 में पत्थर फेंकने की 1,767 घटनाएं हुईं, जो 370 हटने के बाद 2023 में मौजूदा तारीख तक शून्य हैं।
गृह मंत्रालय ने पांच अगस्त, 2019 के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में आए बदलावाें पर शीर्ष कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि हड़ताल, पथराव व बंदी की प्रथा अब अतीत की बात है। पथराव की कोई घटना नहीं हुई है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम और अनुसूचित जाति व जनजाति को आरक्षण देने वाले केंद्रीय कानून भी लागू हैं। केंद्र का जवाब अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाओं पर आया है।
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार हुई सुनवाई में केंद्र के नए हलफनामे पर विचार करने से इनकार कर दिया है।