वायुसेना विरासत केंद्र।
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कारगिल विजय दिवस के 24 साल पूरे होने पर आज पूरा देश भारत मां के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सपूतों को याद कर रहा है। तीन मई 1999 को शुरू हुआ करगिल युद्ध 26 जुलाई 1999 तक चला था। भारतीय सेना ने अदम्य साहस दिखाते हुए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस युद्ध से जुड़ी कुछ यादें चंडीगढ़ वायुसेना विरासत केंद्र में सहेज कर रखी गईं हैं। इनमें भारतीय वायुसेना द्वारा इस्तेमाल किए गए मिग-21, 23 और सुखोई जैसे लड़ाकू विमान, दुश्मन के ठिकानों को बमबारी के जरिए तहस-नहस करने वाले बिना लेजर गाइडेड बम शामिल हैं।
विरासत केंद्र में कारगिल युद्ध के दौरान मिग और सुखोई जैसे विमानों की बंदूकों में जमीन और हवा में 200 मीटर दूरी तक टारगेट को नेस्तानाबूत करने वाले कारतूस भी देखे जा सकते हैं, जिनका वजन 840 ग्राम तक है। साथ ही यहां पर थिएटर शो में कारगिल से लेकर बालाकोट एयर स्ट्राइक के चलचित्र दिखाए जाते हैं, जो भारतीय वायुसेना के अदम्य साहस को बयां करते हुए पूरे देश को गौरवान्वित करते हैं। विरासत केंद्र में मौजूद सिमुलेटर के जरिए भले ही कुछ पल के लिए लेकिन आप भी युद्ध के दौरान के लम्हों को महसूस कर सकते हैं।
विरासत केंद्र में विंटेज विमान भी मौजूद
इस केंद्र में विंटेज विमान भी रखे गए हैं। यह अद्भुत पहल भारतीय वायुसेना की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगी और युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है। यह विभिन्न युद्धों में वायुसेना की भूमिका को दर्शाता है, जिसमें 1965 और 1971 और कारगिल युद्ध, और बालाकोट हवाई हमले को भित्ति चित्र और यादगार के माध्यम से दर्शाया गया है। विरासत केंद्र में दर्शकों के लिए आकर्षण की कई चीजें हैं जैसे कि विमान के मॉडल, एयरो इंजन और हथियार, जिसमें ग्रेयाजेव-शिपुनोव ट्विन बैरल गन भी शामिल हैं।