नेता प्रतिपक्ष के नाम का होगा एलान
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कर्नाटक में आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के लंबे समय बाद आज पार्टी अपने प्रतिपक्ष नेता के नाम पर मुहर लगा सकती है। गौरतलब है, 13 मई को हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने जहां 135 सीटों से जीत हासिल की, वहीं, भाजपा सिर्फ 66 सीटों पर ही सिमट गई थी।
इसलिए हुई देरी
पार्टी के नेताओं ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का चयन आम तौर पर चुनाव नतीजों के तुरंत बाद किया जाता है, लेकिन भाजपा के भीतर सहमति और असहमति का खेल चल रहा है। साथ ही कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी की भारी हार और आंतरिक संघर्षों के कारण विपक्ष के नेता के चयन में देरी हुई है। आखिरकार प्रतिपक्ष नेता चुनने के लिए लंबे समय बाद बैठक बुलाने का फैसला ले लिया गया है। पार्टी उम्मीद जता रही है कि आज प्रतिपक्ष नेता के नाम पर सहमति बन जाएगी।
ये लोग होंगे शामिल
बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतील, कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य बीएस येदियुरप्पा सहित प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी।
इन नामों पर विचार
बता दें, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका के लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है, जैसे बसवराज बोम्मई, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, अश्वथनारायण, वी सुनील कुमार और आर अशोक। इसके अलावा, श्रीनिवास पुजारी, तेजस्विनी गौड़ा और चालुवादी नारायण स्वामी के नाम पर भी चर्चा हो सकती है।
अनुशासनहीनता के लिए 11 नेता जिम्मेदार
एक नेता का कहना है कि भाजपा ने पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता के लिए जिम्मेदार 11 नेताओं की पहचान की है। आज होने वाली बैठक के दौरान इस मुद्दे को भी सामने रखा जाएगा। वहीं, बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर शुक्रवार को भी एक बैठक बुलाई गई थी। इसमें येदियुरप्पा, बोम्मई, कतील, प्रल्हाद जोशी और सीटी रवि समेत वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। इन्होंने ऐसे छह नेताओं से मुलाकात की, जिन पर अनुशासनहीनता का आरोप है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने अनुशासनहीनता और विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जिन 11 नेताओं को चुना है, वे हैं सांसद रेणुकाचार्य, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, मुरुगेश निरानी, प्रभु चौहान, प्रताप सिम्हा, रमेश जिगाजिनागी, दशरहल्ली मुनिराजू, एएस नदहल्ली, चरणथी मठ, थम्मेश गौड़ा और ईश्वर सिंह ठाकुर।
सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन बाद में कुछ लोगों ने आश्वासन दिया कि वे मुद्दों को हल करने और पार्टी की एकता में सुधार करने की दिशा में काम करेंगे, जिसके बाद पार्टी ने अपना रुख बदल दिया।