खबरों के खिलाड़ी।
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पिछले हफ्ते राहुल गांधी फिर चर्चा में रहे। राहुल गांधी ने लेह-लद्दाख का दौरा किया। वहां जनता से बातें कीं। इस दौरान राहुल ने कहा कि इस देश में मुसलमानों पर हमले हो रहे हैं और चीन ने भारत की काफी जमीन पर कब्जा कर लिया है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए ‘खबरों के खिलाड़ी’ की इस कड़ी में वरिष्ठ विश्लेषक रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, हर्षवर्धन त्रिपाठी, पूर्णिमा त्रिपाठी, प्रेम कुमार और समीर चौगांवकर मौजूद थे। इस चर्चा को आप अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर शाम पांच बजे लाइव देख सकते हैं। पढ़िए चर्चा के अहम अंश…
हर्षवर्धन त्रिपाठी
‘राहुल गांधी जो कुछ बनाते हैं, उसे खुद ही बिगाड़ते हैं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी की छवि में बहुत सुधार हुआ था, लेकिन अब वो फिर से वहीं पहुंच गए हैं और अपने बयानों से देश की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। राहुल गांधी पैंगोंग लेक घूम रहे हैं। सीमाई इलाकों में घूम रहे हैं लेकिन कह रहे हैं कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी अपने बयानों से चीन के पक्ष में खड़े नजर आते हैं। राहुल गांधी वोटबैंक की, नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं और वे इसके लिए देश पर सवाल उठा रहे हैं। दंगों के मामले में भाजपा सरकार सबसे बेहतर स्थिति में है। राहुल गांधी का भरोसा जनता पर नहीं बन पा रहा है और वे नरेंद्र मोदी के सामने बौने नजर आते हैं। यही वजह है कि वह नरेंद्र मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाकर फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। किरेन रिजिजू ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद में कहा था कि इस सरकार में चीन ने सीमा पर कोई पक्का निर्माण नहीं किया है, जो निर्माण हैं, वो पूर्व की सरकार के समय से हैं।’
प्रेम कुमार
‘देश में नफरत का माहौल है तो वहां मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करना बहुत जरूरी है। मुजफ्फरनगर में एक टीचर एक खास मजहब के बच्चे को अन्य बच्चों से पिटवा रही है। यह बेहद खतरनाक है। राहुल गांधी इसी नफरत के माहौल से लड़ रहे हैं। यह बहुत हिम्मत की बात है। वे वोट की चिंता नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या ये सच नहीं है कि बफर जोन में जहां हमारी सेना पेट्रोलिंग करती थी, वहां चीन ने कब्जा कर लिया है। डोकलाम की झड़प के बाद हमारी सेना रणनीतिक रूप से अहम स्थानों पर तैनात थी, लेकिन बातचीत के बाद हमारी सेना ने तो वो जगहें छोड़ दीं, लेकिन चीन अब पीछे हटने से इनकार कर रहा है। इसे लेकर बातचीत जारी है, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल रहा है, तो इस पर सवाल पूछा जाना बिल्कुल सही है। हमसे ज्यादा चीन की सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित है, लेकिन बफर जोन में जो अतिक्रमण हुआ है, उस पर तो जवाब मांगा जाएगा। स्थानीय लोगों से बात करके पता चलता है कि चीन बीते 10 सालों में कितना आगे बढ़ आया है।’
समीर चौगांवकर
‘राहुल गांधी लगातार चीन का मुद्दा उठा रहे हैं। सेना इस मुद्दे पर जवाब दे चुकी है, उसके बाद कुछ कहने की जरूरत नहीं है। रही बात सरकार पर नफरत फैलाने के आरोप की, तो सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं और जो जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, उनमें अल्पसंख्यकों से कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। चाहे पीएम आवास योजना हो या उज्जवला योजना या फिर आयुष्मान भारत योजना, हर योजना में देश के अल्पसंख्यकों को पूरा लाभ दिया जा रहा है। ऐसे में सरकार पर यह आरोप लगाना कि वह धर्म के आधार पर भेदभाव कर रही है या नफरत फैला रही है, मुझे लगता है कि यह गलत है।’
पूर्णिमा त्रिपाठी
‘डोकलाम के वक्त में हमने बहुत सारी सैटेलाइट तस्वीरें देखी थीं, जिनमें दिखा था कि नो मैंस लैंड में चीन ने बंकर बना लिए हैं, लेकिन आज तक सरकार ने इस पर सफाई नहीं दी है। क्या चीन वापस चला गया है या वहीं पर है तो क्या सरकार को इसके बारे में नहीं बताना चाहिए? राहुल गांधी सरकार पर सही हमला कर रहे हैं। जो मुजफ्फरनगर का वीडियो सामने आया है, उससे पता चलता है कि जनमानस में कितना जहर घुल चुका है। ये मानसिकता किसने बनाई है, ये राहुल गांधी ने नहीं बनाई है। डर का जो माहौल दिख रहा है, उसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश में कई चारागाहों पर चीन ने अपने गांव बसा लिए हैं तो चीन सीमा में घुसा तो है लेकिन सरकार इसे स्वीकार नहीं कर रही है।’
रामकृपाल सिंह
‘ऐसा नहीं है कि पहले सबकुछ अच्छा था और पिछले नौ सालों में ही सब बर्बाद हो गया। पहले भी देश में दंगे हुए हैं। मुजफ्फरनगर की घटना में जो टीचर है, वो एक आतंकवादी है और उसे आतंकवादी की तरह सजा दी जानी चाहिए। उसके समर्थन में जो भी आए, मैं उसका विरोध करूंगा, लेकिन लोकतंत्र की हत्या, हिंदू मुसलमान वैमनस्य जैसे शब्द मैं हमेशा से सुनता आया हूं। पहले भी ताजिए, रथयात्रा के दौरान दंगे होते रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ इस सरकार में ही नफरत फैलायी जा रही है।’
‘पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा था कि अविकसित बॉर्डर हमारी नीति है ताकि दुश्मन ना आने पाए। इससे अंदाजा लगाया जाना चाहिए कि वह सीमा की सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर रहे। इस सरकार में सीमाओं के विकास को लेकर सोच बदली है। तेजी से सीमा पर विकास किया जा रहा है। चीन आज से 20 साल पहले सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर अपना साजो-सामान तैनात कर चुका है और हम अब सीमा पर निर्माण कर रहे हैं तो पहले की सरकारों की नीति भी गलत रही।’
विनोद अग्निहोत्री
‘राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं तो उनसे उम्मीद करना कि वे प्रधानमंत्री की तारीफ करें तो यह गलत है। मनमोहन सरकार में अगर चीन के सैनिक सीमा में घुस आए तो विपक्ष हंगामा कर देता था। आज अगर चीन का अतिक्रमण नहीं है तो सरकार क्यों सैन्य स्तर पर बात कर रही है, क्यों पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में अनौपचारिक बातचीत में सीमा पर स्थिति सही करने की बात कही। चीन का सीमाओं पर अतिक्रमण कब शुरू हुआ…दरअसल चीन सीपीएसी बना रहा है, उसे पाकिस्तान में इसके लिए सुरक्षित रास्ता चाहिए, लेकिन इसी बीच हमारे गृह मंत्री ने कहा कि हम अक्साई चिन लेकर रहेंगे, उसके बाद से ही चीन का सीमा पर आक्रामक रुख शुरू हुआ और आज हम स्टैंडऑफ की स्थिति में हैं। ऐसा भी नहीं रहा कि सीमाओं पर विकास नहीं था तो सीमाएं सुरक्षित नहीं थीं। 1966 में सिक्किम में और नाथूला में भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया था। आज अप्रोच बदल गई है और जिस तरह से पूर्वोत्तर में विकास हुआ है, उसकी तारीफ की जानी चाहिए।’
‘हम सब को मुसलमान होकर सोचना पड़ेगा कि मुजफ्फरनगर की घटना कितनी खतरनाक है। पहले दंगे होते थे, लेकिन दंगों का असर लंबा नहीं रहता था, लेकिन आज दंगों का असर बहुत लंबा चलता है। मुजफ्फरनगर की घटना की तरह ही उदयपुर की कन्हैया लाल की हत्या की घटना भी खतरनाक है। इसलिए बहुत जिम्मेदारी से इन घटनाओं पर सोचने की जरूरत है और यहां सरकार की जिम्मेदारी बनती है।’