Khabron Ke Khiladi: नेता तो मिले, लेकिन क्या मतदाता भी साथ आएंगे? जानिए एनडीए बनाम इंडिया पर विश्लेषकों की राय

Khabron Ke Khiladi: नेता तो मिले, लेकिन क्या मतदाता भी साथ आएंगे? जानिए एनडीए बनाम इंडिया पर विश्लेषकों की राय




खबरों के खिलाड़ी।
– फोटो : अमर उजाला

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इस हफ्ते दो बड़े नाम चर्चा में हैं। एनडीए और I-N-D-I-A। 2024 की बिसात बिछ चुकी है और तस्वीर लगभग साफ हो गई है कि मुकाबला इन्हीं दो के बीच है। इंडिया को एक बेमेल गठबंधन कहा जा रहा है, लेकिन इसमें संभावनाएं भी हैं। वहीं, विपक्षी एकता को देखते हुए एनडीए भी अपने कुनबे को एकजुट करने में जुट गया है। विपक्षी एकता और 2024 के चुनावी परिदृश्य पर चर्चा के लिए हमारे साथ वरिष्ठ विश्लेषक रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, गुंजा कपूर, अवधेश कुमार और प्रेम कुमार मौजूद रहे। इस चर्चा को अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकता है। पढ़िए इस मुद्दे पर विश्लेषकों की राय…

प्रेम कुमार

कहा जा रहा था कि विपक्ष में इतना टकराव है कि वो एक हो ही नहीं सकते तो विपक्षी एकता से साफ है कि एक अनहोनी, होनी में तो बदल गई है। हालांकि ये स्थिर भाव में रहेगा, ये मैं नहीं मानता। कुछ नई पार्टियां आएंगी तो कुछ जाएंगी भी, लेकिन इससे जो बेचैनी सत्ता पक्ष को है, उसे महसूस किया जा सकता है। एनडीए ने तुरंत अपना कुनबा बड़ा दिखाने की कोशिश की, लेकिन उनके साथ अहम पार्टियां 12-13 ही हैं और बाकी गिनती ही हैं। 2019 के चुनाव में 80 लोकसभा सीटें ऐसी रही हैं, जहां भाजपा और विपक्षी उम्मीदवार के बीच हार-जीत का अंतर सिर्फ पांच प्रतिशत रहा। ये सीटें सत्ता पक्ष के लिए चुनौती हैं। इस बात को विपक्षी गठबंधन भी महसूस कर रहा है। विपक्ष के चेहरे की बात कही जा रही है, लेकिन बिना चेहरे के भी देश में चुनाव जीते गए हैं। विपक्ष को चेहरे की जरूरत ही नहीं है। 

अवधेश कुमार

जब सब विपक्षी एक हो रहे हैं तो सत्ता पक्ष को भी कुछ रणकौशल तो करना ही था। ऐसा कहा जा रहा था कि सरकार के साथ कोई नहीं है इसलिए एनडीए ने भी बैठक कर जनता को संदेश दे दिया है। एनडीए ने साफ कर दिया है कि उनके दरवाजे खुले हैं और वह सभी को साथ लेकर चल सकते हैं। एनडीए को विपक्ष की ताकत को कमतर नहीं आंकना चाहिए। मुझे तीसरे मोर्चे की संभावना नहीं दिखती। तेलंगाना, ओडिशा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के नेता विपक्षी खेमे में नहीं हैं। उससे भी देश को संकेत मिलता है। विपक्षी बैठक के बाद खरगे ने एक बयान में अहम बात कही थी कि एक समिति बनाई जाएगी, जो यह तय करेगी कि विपक्ष के नेता किस विषय पर बोलेंगे और किस विषय पर नहीं बोलेंगे ताकि भाजपा को विपक्ष को घेरने का मौका ना मिले। 








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