Khabron Ke Khiladi: ‘विपक्षी दलों के पास डेढ़ हजार विधायक, 200 से ज्यादा सांसद, क्या इससे बढ़ेगा BJP का बीपी?’

Khabron Ke Khiladi: ‘विपक्षी दलों के पास डेढ़ हजार विधायक, 200 से ज्यादा सांसद, क्या इससे बढ़ेगा BJP का बीपी?’




खबरों के खिलड़ी।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

‘खबरों के खिलाड़ी’ की नई कड़ी में एक बार फिर आपका स्वागत है। इस हफ्ते की बड़ी राजनीतिक खबरों के सधे विश्लेषण के साथ एक बार फिर हम आपके सामने प्रस्तुत हैं। इस दिलचस्प चुनावी चर्चा को अमर उजाला के यूट्यूब चैनल पर शनिवार रात 9 बजे और रविवार सुबह 9 बजे देखा जा सकता है।

इस हफ्ते की सबसे बड़ी सुगबुगाहट विपक्षी एकता की बैठक को लेकर है, जो पटना में होने वाली है। बैठक से पहले ही जेडीयू की साथी ‘हम’ ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है। वहीं, एनडीए में भी सबकुछ ठीक नहीं है और महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे भी भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं। विपक्षी एकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या शरद पवार बड़ी भूमिका में दिखेंगे और क्या नीतीश कुमार को विपक्षी एकता के लिए संयोजक बनाया जा सकता है…? इन्हीं अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए इस बार हमारे साथ पंकज शर्मा, विनोद अग्निहोत्री, सुमित अवस्थी, पूर्णिमा त्रिपाठी, हर्षवर्धन त्रिपाठी, शिवम त्यागी जैसे वरिष्ठ विश्लेषक मौजूद रहे। पढ़िए इनकी चर्चा के अहम अंश…

सुमित अवस्थी

’23 जून को पटना में होने वाली बैठक से क्या होगा, इस पर सभी की नजरें हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बैठक में विपक्ष कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम बना सकता है या फिर किसी नेता को संयोजक की जिम्मेदारी दी जा सकती है? कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि यह बस एक भानुमति का कुनबा है, जहां कुछ नहीं होगा और बस पीएम मोदी को रोकने के लिए ही विपक्षी पार्टियां एक हो रही हैं। पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी और ममता के बीच तनातनी चल रही है, वहीं बिहार में मांझी और नीतीश की महत्वाकांक्षाएं टकरा रही हैं, इसे लेकर भी विपक्षी एकता सवालों के घेरे में है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई के डर को भी विपक्षी एकता की वजह बताया जा रहा है। हाल ही में प्रियंका गांधी मध्य प्रदेश में नर्मदा पूजन करती नजर आईं। कर्नाटक में जहां कांग्रेस सेक्युलरिज्म की बात कर रही थी, वही कांग्रेस, मध्य प्रदेश में हिंदुत्व के पाले में दिख रही है।’ 







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