लद्दाख में जवानों से मिलते आर्मी चीफ मनोज पांडे
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भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले तीन साल से भी अधिक समय से जारी गतिरोध को लेकर सोमवार को 19वें दौर की सैन्य वार्ता हुई। भारत ने इसमें देपसांग और डेमचोक समेत अन्य टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी का चीन पर दबाव डाला। साथ ही बैठक में क्षेत्र में समग्र तनाव को कम करने पर भी चर्चा हुई। यह सैन्य वार्ता दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पहले हुई है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा लेंगे।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की बातचीत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय क्षेत्र चुशुल-मोल्दो में हुई। इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने देपसांग और डेमचोक में विवादित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच बातचीत सोमवार सुबह करीब 9.30 बजे शुरू हुई थी जोकि करीब 10 घंटे तक चली।
वार्ता पर निर्भर मोदी-जिनपिंग की मुलाकात
सूत्रों के मुताबिक, इस वार्ता के आधार पर पीएम मोदी और चीनी राष्टपति जिनपिंग के बीच दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मुलाकात निर्भर करता है। सैन्य वार्ता में चीनी सेना के घुसपैठ को लेकर लंबित मुद्दों पर सहमति बन जाती है तो दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत का रास्ता भी खुल सकता है।
लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया भारतीय पक्ष का नेतृत्व
दोनों देशों के बीच हुई वार्ता को लेकर कोई आधिकारिक बयान अभी जारी नहीं किया गया है। भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14-कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया। वहीं चीनी पक्ष की अगुवाई साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट चीफ ने की। बता दें, जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
अप्रैल में 18वें दौर की वार्ता
सूत्रों का कहना है कि कोर कमांडर स्तर की बैठक से ठीक एक दिन पहले रविवार को दोनों पक्षों के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने बातचीत की थी। इससे पहले 18वें दौर की वार्ता 23 अप्रैल को हुई थी। इसमें भी भारत ने देपसांग और डेमचोक से सेना हटाने पर जोर दिया था। 18वें दौर की वार्ता में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई थी। पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाली जगहों पर तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों ने राजनयिक व सैन्य वार्ताओं के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की है।