लालू यादव और तेजस्वी यादव(फाइल)
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जमीन के बदले नौकरी केस की सुनवाई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में टल गई है। अब अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी। कहा जा रहा है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ संबंधित विभाग से सेक्शन नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने यह सुनवाई टाल दी। दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ सुनवाई होनी थी। कोर्ट में सीबीआई के वकील और तेजस्वी यादव के वकील अपना-अपना पक्ष रखने वाले थे। दोनों पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट यह तय करती कि चार्जशीट एक्सेप्टबल है या नहीं। अगर तेजस्वी के खिलाफ दायर चार्जशीट को कोर्ट एक्सेप्ट कर लेती है तो उन्हें जमानत लेनी पड़ती।
तेजस्वी का नाम पहली बार आरोपी के रूप में शामिल
इससे पहले 3 जुलाई को बहुचर्चित नौकरी के बदले जमीन घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी आरोपी बनाया था। जांच एजेंसी ने सोमवार को दूसरा आरोपपत्र दायर करते हुए तेजस्वी का नाम पहली बार आरोपी के रूप में शामिल किया। सीबीआई ने अपने विशेष लोक अभियोजक एडवोकेट डीपी सिंह के माध्यम से अदालत को सूचित किया गया था कि मामले में एक नया आरोप पत्र दायर किया गया है। सीबीआई के अनुसार एक आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है क्योंकि कथित कृत्य एक अलग तरीके से किया गया। अदालत को यह भी सूचित किया गया कि लालू और तीन अन्य के खिलाफ धाराओं पर मंजूरी का इंतजार है।
लालू-राबड़ी के साथ 14 अन्य आरोपी ने नाम
सीबीआई की ओर से विशेष जज गीतांजलि गोयल की कोर्ट में दायर आरोपपत्र में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी के साथ ही 14 अन्य आरोपियों के नाम भी शामिल किए गए। इसमें एके इन्फोसिस्टम्स नाम की कंपनी को भी नामित किया है। इस मामले में अब 12 जुलाई यानी आज सुनवाई होनी थी। लेकिन, टल गई। अब अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
जमानत पर हैं लालू प्रसाद, राबड़ी और मीसा
इस मामले में लालू प्रसाद, राबड़ी और उनकी बेटी व सांसद मीसा भारती अभी जमानत पर हैं। जांच एजेंसी का आरोप है कि 2004 से 2009 के दौरान यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहते लालू ने नियमों और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ाते हुए भर्तियां की गई थीं। इसके बदले में अभ्यर्थियों ने लालू के परिवार के सदस्यों के नाम अपनी जमीन बेहद कम दर पर बेची थी।
जानिए, क्या है नौकरी के बदले जमीन घोटाला?
आरोप है कि जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद केंद्र की यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। तब 2004-09 की अवधि के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह ‘डी’ पदों पर विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में संबंधित व्यक्तियों ने तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के परिवार के सदस्यों को और इस मामले में लाभार्थी कंपनी ‘एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ को अपनी जमीन हस्तांतरित की थी।