वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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आज आर्थिक विषयों में दुनियाभर में संकट का समय है। बढ़ती महंगाई और घटती विकास दर। मैं उदाहरण के लिए विदेश में जो चल रहा है, उसके बारे में बताती हूं। उसके बाद मैं देश पर भी आऊंगी। 2022 में दुनिया की अर्थव्यवस्था सिर्फ 3 फीसदी से कुछ ऊपर रही है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, वैश्विक विकास दर 2023 में 2.1 फीसदी पर आ जाएगी। ब्रिटेन में सबसे चुनौतीपूर्ण समय है और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दर 14 बार लगातार बढ़ाया है। उसका ब्याज दर 15 साल में सबसे ज्यादा है।
निर्मला सीतारमण बोलीं- वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में
यूरोजोन भी काफी मुश्किल में है। वे संघर्ष का सामना कर रहे हैं। चीन एक बढ़ती अर्थव्यवस्था है। मैं अपनी अर्थव्यवस्था की उससे तुलना नहीं करुंगी। लेकिन जिसे मजबूत माना जाता था, वह आज कस्टमर की कमी से जूझ रहा है। चीन का सिचुएशन, यूके का सिचुएशन, यूरोजोन का सिचुएशन। आपने सुना होगा अमेरिका को भी डाउनग्रेड किया गया, जिसकी वजह से उसका शेयर मार्केट डंवाडोल हुआ है। हमें इन हालात को देखते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को समझना चाहिए।
भारत की अर्थव्यवस्था को कभी नाजुक कहने वाले अब हमारी प्रशंसा कर रहेः वित्त मंत्री
2013 में मॉर्गन स्टेनली ने भारत को दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं की सूची में शामिल किया था। भारत को नाजुक अर्थव्यवस्था घोषित कर दिया गया। आज उसी मॉर्गन स्टैनली ने भारत को अपग्रेड कर ऊंची रेटिंग दी है। केवल 9 वर्षों में, हमारी सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था ऊपर उठी और कोविड के बावजूद आर्थिक विकास हुआ। आज हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। आज देश सबसे तेज विकास दर वाली अर्थव्यवस्था है। हमारे लिए जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी है 2022-23 के लिए। इसके 2023-24 में 6.5 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान रखा गया है। जबकि बाकी इकोनॉमी के बढ़ने का अनुमान नीचे रखा गया है। ये सब कैसे संभव हुआ।
2014 से पीएम मोदी ने देश की आर्थिक पॉलिसी में किया सुधार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि 2014 से पीएम मोदी ने हमारी पॉलिसी को इतना सुधारा कि जिसकी वजह से कोविड संकट को पार करते हुए भी रिकवरी के रास्ते में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। जनधन योजना, डिजिटल इंडिया मिशन, आयुष्मान भारत, जन औषधि केंद्र ऐसी योजनाओं से सबको फायदा पहुंचाने का काम हुआ है। छह दशकों से हम सुन रहे थे गरीबी हटाओ, लेकिन ऐसा हुआ क्या? अब आप साफ देख पा रहे हैं कि गरीबी कैसे हटा रहे हैं।
बनेंगे, मिलेंगे और आएंगे की जगह अब बन गए, मिल गए और आ गए सुनने को मिलता है
बन गए, मिल गए और आ गए। आज कल यही शब्द इस्तेमाल होता है, जनता के बीच। पहले यूपीए के समय क्या होता था शब्द। बिजली आएगी, अब होता है बिजली आ गई। पीएम आवास का घर तब होता था बनेगा। अब होता है घर बन गया। पहले होता था सड़क बनेगा,अब होता है बन गया। पहले एयरपोर्ट बनेगा करते थे, अब बन गया। पहले कहते थे स्वास्थ्य सेवा मिलेगी, अब कहते हैं मिल गया। पहले जनता कहती थी कि राशन आसानी से मिलेगा, अब मिल गया। इसलिए इसका समझ आवश्यक है। एक्चुअल डिलीवरी से ही बदलाव होता है, न कि मुंह से शब्द फेंककर गुमराह करने से। आप सपने दिखाते थे, हम जनता के सपने साकार करते हैं।