अखिलेश राहुल क्या फिर मिलेंगे?
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विपक्षी गठबंधन के अपने-अपने समीकरण हैं। लोकसभा चुनाव से पहले सपा जहां राष्ट्रीय फलक पर मजबूत मौजूदगी का संदेश देना चाहती है, वहीं कांग्रेस यूपी में खड़ा होना चाहती है। बाकी दल भी नफा-नुकसान का आकलन कर आगे बढ़ रहे हैं। जनादेश के जरिये जीत-हार से पहले सभी मनोवैज्ञानिक तौर पर जंग जीतने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी बैठक 17-18 जुलाई को बंगलुरू में होगी। जून में पटना में हुई पहली बैठक की मेजबानी जहां जदयू-राजद गठबंधन ने की थी, वहीं दूसरी बैठक की मेजबानी कांग्रेस कर रही है। पटना में तय हुआ था कि अगली बैठक 11-12 जुलाई को शिमला में होगी, लेकिन कई राजनीतिक व व्यावहारिक कारणों के चलते इस बैठक की तिथि आगे बढ़ाई गई। माना जा रहा है कि दूसरी बैठक में विपक्षी गठबंधन का नाम और उसके संयोजक का नाम तय हो सकता है।
विपक्षी गठबंधन के कई सहयोगियों के इधर-उधर छिटकने की चर्चाएं इधर काफी गरम हैं, लेकिन माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस गठबंधन की मजबूत बुनियाद के रूप में सपा और कांग्रेस रहेंगे। कांग्रेस के एक जिम्मेदारी पदाधिकारी ने यहां व्यक्तिगत बातचीत में दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कैंप बसपा को साथ लाने का भी प्रयास कर रहा है। कांग्रेस हाईकमान का मानना है कि विपक्षी गठबंधन के पक्ष में बयार बहती हुई दिखी तो ऐन वक्त पर बसपा का साथ आना संभव हो सकता है।