Luna-25: लूना-25 की विफलता से चीन को भी लगा झटका, एक्सपर्ट बोले- रूस को अब दोबारा सबकुछ सीखना होगा

Luna-25: लूना-25 की विफलता से चीन को भी लगा झटका, एक्सपर्ट बोले- रूस को अब दोबारा सबकुछ सीखना होगा



Luna-25 crashes
– फोटो : Twitter@VivekSi85847001

विस्तार


रूस का चंद्र मिशन लूना-25 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लूना-25 का दुर्घटनाग्रस्त होना रूस के साथ-साथ चीन के लिए भी एक झटका है। रूसी मिशन को लेकर चीन भी उत्साहित था। बता दें, सोवियत संघ के अंत के बाद लूना-25 चांद पर उतरने का प्रयास करने वाला पहला रूसी अंतरिक्ष यान था। बता दें, चीनी मीडिया लूना-25 की खबर चलाने से अब कतरा रहा है।

लूना-25 के लिए 2021 में दोनों देशों ने की थी घोषणा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इच्छा थी कि वह रूस के साथ मिलकर चांद पर बेस बनाएं। प्रस्तावित बेस के निर्माण से चीन अमेरिका सहित अन्य अंतरिक्ष महाशक्तियों को चुनौती देना चाहता था। लूना-25 को लेकर रूसी और चीनी अंतरिक्ष एजेंसियों ने 2021 में घोषणा की थी कि वे एकसाथ निर्माण करने के लिए सहमत हैं। चीनी मीडिया के अनुसार, इसी महीने की शुरुआत में रूसी और चीनी प्रतिनिधिमंडल ने रूस के वास्तोचन कोस्मोड्रोम में बैठक की, जिसका नेतृत्व चीन के अंतरिक्ष अन्वेषण परियोजना के प्रमुख डिजाइनर वू यानहुआ ने की थी। मिशन की विफलता के बाद चीनी मीडिया इसपर चर्चा करने से कतरा रहा है। मुख्य चीनी समाचार एजेंसी ने केवल पांच लाइन का संदेश जारी किया।

रूस को एक बार फिर से सबकुछ सीखना होगा

कम्युनिस्ट नेता हू जिजिन ने एक अखबार में अपनी राय देते हुए लिखा कि इस विफलता के कारण रूस की महत्वाकांक्षाओं को झटका लगने की उम्मीद है। सिर्फ एक चांद कार्यक्रम विफल होने के कारण पश्चिमी देशों को रूस को कम नहीं आंकना चाहिए। अंतरिक्ष इतिहासकार अलेक्जेंडर जेलेज्न्यकोव ने एक रूसी मीडिया से कहा कि हमें अब सबकुछ फिर से सीखना होगा। हमें सीखना होगा कि कैसे आत्मविश्वास के साथ चांद तक उड़ान भरें। हमें सीखना होगा कि कैसे आत्मविश्वास के साथ सतह पर उतरें। एक बार फिर से सब सीखने के बाद ही चीन सहित अन्य देशों के साथ परियोजनाओं को शुरू करना चाहिए।

चीन को रूस को लेकर अविश्वास!

अंतरिक्ष नीति के शोधकर्ता पावेल लुज़िन का कहना है कि कहीं न कहीं चीन का मानना है कि अंतरिक्ष भागीदार के रूप में रूस का महत्व एकदम सीमित है। चीन को रूस के साथ सहयोग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। चीन को लगता है कि रूस उसे कुछ नहीं दे सकता। चंद्र मिशन के लिए रूस ने संशाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए चीनी मिशनों के साथ साझेादारी की।

 



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