Madhumita murder case:मधुमिता के घर कैसे आई दिल्ली के ओबेरॉय होटल की चाभी, किसने बुक किया कमरा

Madhumita murder case:मधुमिता के घर कैसे आई दिल्ली के ओबेरॉय होटल की चाभी, किसने बुक किया कमरा



कहानी मधुमिता हत्याकांड की
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दिल्ली के ओबरॉय होटल में बुक किए गए कमरे की चाभी मधुमिता शुक्ला के घर में क्यों मिली थी? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब सीबीआई ने तलाशने की कोशिश की लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। केवल चाभी ही नहीं, मधुमिता के घर से हवाई जहाज का टिकट और होटल की चप्पलें भी बरामद हुई थीं। जांच में पता चला कि यह कमरा इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के तत्कालीन चेयरमैन मेलकम स्पीड के नाम से बुक किया गया था।

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में अमरमणि त्रिपाठी का नाम सामने आने पर यूपी ही नहीं, दिल्ली में भी सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया था। मामले की गूंज संसद तक हुई थी और विपक्ष ने केंद्र व राज्य सरकार पर निशाना साधा था। दरअसल गोरखपुर के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का संरक्षण पाकर राजनीति में कदम जमाने वाले अमरमणि ने दिल्ली दरबार में भी अपनी जड़ें जमानी शुरू कर दी थी। इसी वजह से अक्सर दिल्ली जाने पर मधुमिता उनके साथ रहती थी। यही वजह थी कि सीबीआई की जांच का दायरा दिल्ली तक भी पहुंचा था।

अमरमणि अब नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

अपने रसूख की बदौलत अमरमणि ने वर्ष 2007 में जेल में रहते हुए बतौर निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा का चुनाव जीत लिया था। पर समयपूर्व रिहाई के बाद अमरमणि को दोबारा सियासी सफर शुरू करना आसान नहीं होगा। हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर के मुताबिक कोई भी सजायाफ्ता व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्वांचल की सियासत पर अमरमणि के जेल से बाहर आने का कितना प्रभाव पड़ेगा।

अमरमणि टाइमलाइनः कब क्या हुआ

– 9 मई 2003 को लखनऊ में मधुमिता शुक्ला की हत्या हुई

– 17 मई 2003 को मामले की जांच सीआईडी के सुपुर्द की गई

– 18 जून 2003 को सीआईडी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी

– 18 जून 2003 को राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की संस्तुति की

– 5 सितंबर 2003 को सीबीआई ने केस को टेकओवर कर लिया

– मार्च 2007 में केस देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ट्रांसफर हुआ

– 24 अक्टूबर 2007 को चारों आरोपियों को उम्रकैद की सजा हुई

– 16 जुलाई 2012 को नैनीताल हाईकोर्ट ने सजा बरकरार रखी

– 4 जनवरी 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा

– 2013 में अमरमणि और उनकी पत्नी ने दया याचिका दायर की

– 2014 में राज्य सरकार ने उत्तराखंड का मामला बता याचिका खारिज की

– मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अच्छे आचरण वाले कैदियों को रिहा करने को कहा

– 21 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मधुमणि को रिहा करने का आदेश दिया

– 10 फरवरी 2023 को अमरमणि को भी रिहा करने का आदेश दिया गया

– 3 जुलाई 2023 को अवमानना वाद पर मधुमणि की रिहाई का आदेश हुआ

– 18 अगस्त 2023 को अमरमणि को भी रिहा करने का आदेश दिया गया

– 24 अगस्त 2023 को राज्य सरकार ने दोनों की रिहाई का आदेश दे दिया

 



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