महाराष्ट्र में बन रहा नया सियासी समीकरण
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महाराष्ट्र की सियासत में चल रहे शह और मात के खेल में बाजी मारने वाले देवेंद्र फडणवीस के साथ-साथ भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह के लिए बेशक रविवार का दिन बेहद अहम है। अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद महाराष्ट्र में अब अगर सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह है भाजपा का मुख्यमंत्री बनाए जाने की। यानी अब नए सियासी गुणा भाग के बाद एक बार फिर देवेंद्र फड़णवीस के सितारे बुलंद नज़र आ रहे हैं। नागपुर में रहने वाले फडणवीस के करीबी और एक पूर्व पुलिस अधिकारी मुंबई भाजपा में शामिल होने की कतार में हैं। भरोसा देते हुए कहते हैं कि देवेन्द्र फडणवीस को भाजपा के राष्ट्रीय नेता कभी भी यह पुरस्कार दे सकते हैं। सूत्र का कहना है कि महाराष्ट्र में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव होने से पहले आप देवेन्द्र फडणनवीस को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में देखेंगे। बस थोड़ा इंतजार कीजिए।
अप्रैल 2023 में ही हो चुकी थी ऐसी सियासी भविष्यवाणी
महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रमों पर गौर करें तो अप्रैल 2023 में एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्राइस्ट क्लाइडो ने ट्वीट करके राजनीतिक हलचल पैदा कर दी थी। क्लाइडो ने कहा था कि भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने महाराष्ट्र में देवेन्द्र फड़णवीस को उपमुख्यमंत्री से मुख्यमंत्री बनाने और एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया है। यह जल्द होने वाला है। जवाब में भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एनसीपी के नेता अजीत पवार को लेकर भी भविष्यवाणी कर दी थी। इसमें अजीत पवार के जल्द ही एनडीए से सरकार बनाने और पुन: उपमुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी की गई थी।
इसी के सामानांतर नागपुर समेत महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी करने वाले पोस्टर भी लगे थे। यह सब तब हो रहा था, जब उच्चतम न्यायालय ने शिवसेना से बगावत करने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए विधायकों पर फैसला रिजर्व कर लिया था। इसी की याद दिलाते हुए महाराष्ट्र के एक भाजपा विधायक ने कहा कि देखिए अजीत पवार के साथ आने वाली भविष्यवाणी तो सही हो गई। सूत्र ने कहा कि इस बार तो अजीत पवार बड़ी संख्या में विधायकों के साथ आए हैं। वह एनसीपी के दोनों कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, सुप्रिया सुले समेत पार्टी के नेताओं के साथ मीटिंग करने के बाद सरकार के साथ आए हैं। इतना ही नहीं शरद पवार को भी इसकी सूचना दे दी है।
ये है ‘ट्रिपल इंजन’ की सरकार
महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावन कुले, चंद्रकांत पाटील समेत कई नेताओं ने इसके संकेत दिए हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह तो आप मानेंगे कि मुख्यमंत्री पद पर भाजपा का मजबूत दावा बनता है। हमारे पास 105 विधायक हैं। लेकिन इस बारे में कोई निर्णय भाजपा के राष्ट्रीय नेता ही करेंगे। फिलहाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ आने और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपनी सरकार को ट्रिपल इंजन की सरकार बताया है। पहला इंजन शिवसेना (शिंदे), दूसरा भाजपा और तीसरा इंजन एनसीपी के अजीत पवार और उनके साथ आए विधायक।
अब क्या करेंगे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार?
शरद पवार ने 1980 के दशक को याद किया है। जब उनके साथ 58 विधायक थे और 52 साथ छोड़ गए थे। शरद पवार ने कहा कि तब भी वह निराश नहीं हुए और संख्या बल को मजबूत किया। इसलिए उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है। पवार ने कहा कि एनसीपी किसकी होगी, इसे जनता तय करेगी। उन्होंने एक वेदना बताई कि 6 जुलाई को उन्होंने पार्टी की बैठक बुलाई थी। पार्टी में संगठन से जुड़ा कुछ निर्णय लेने वाले थे, लेकिन इससे पहले पार्टी के कुछ नेताओं ने ऐसा निर्णय ले लिया है। अपनी योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वह जनता के बीच जाएंगे। इसके अलावा वह कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के साथ भी आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
शरद पवार और ठाकरे के सामने खड़ी हुई वजूद बचाने की चुनौती
शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े नेता माने जाते हैं। लेकिन उनके सामने संन्यास लेने की उम्र में राजनीतिक वजूद बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एनसीपी के खत्म होने का हवाला देकर यह चुनौती दी थी। पवार के सामने भाजपा ने यह चुनौती उनके भतीजे अजीत पवार को अपने पाले खड़ा करके पेश की है। भाजपा ने यही चुनौती उद्धव ठाकरे के दल के नेता एकनाथ शिंदे को अपने पाले में खड़ा करके की थी। इस तरह से महाराष्ट्र की राजनीति में चौथे नंबर पर रहने वाली कांग्रेस अब मुख्य विपक्षी दल बन जाएगी। नाम न लेने की शर्त पर कांग्रेस के एक बड़े नेता ने बताया कि हमारे दोनों सहयोगी दल अपना घर नहीं बचा पाएंगे।
2024 के लिए भाजपा ने मजबूत की किलेबंदी
अजीत पवार ने शरद पवार का साथ छोड़ दिया। यह महाराष्ट्र में भाजपा की मजबूत किलेबंदी का संकेत है। 2024 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है। प्रस्तावित चुनाव से करीब 8 महीने पहले भाजपा ने अपने दोनों बड़े प्रतिद्वंदियों की शक्ति को आधे से भी कम कर दिया है। इसका असर वर्तमान महाविकास अघाड़ी पर पडऩा तय है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में विपक्षी एकता और उसके बाद होने वाले सीट शेयरिंग फार्मूले पर भी उद्धव ठाकरे और शरद पवार को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।