नेताजी और उनके परपोते सुगाता बोस
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते सुगाता बोस ने मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने मणिपुर समस्या का हल बताते हुए कहा कि सभी तीनों समुदायों-मैतई, कुकी और नगा को एक साथ लाकर उनके बीच न्यायसंगत सत्ता-साझाकरण (Power Sharing Aggrement) करके ही शांति लाई जा सकती है। पूर्व सांसद सुगाता बोस ने बताया कि तीनों समुदायों के सदस्यों ने नेताजी की आईएनए की तरफ से 1944 में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी।
मणिपुर में पावर शेयरिंग समझौते की जरूरत
सुगाता बोस ने कहा कि हमें तीनों समुदायों को साथ लाने के लिए उनके पूर्व में अंग्रेजों के खिलाफ किए गए सशस्त्र संघर्ष की विरासत को अपनाने की जरूरत है। बता दें कि मणिपुर में मैतई समुदाय को जनजातीय आरक्षण का लाभ देने के अदालत के फैसले के बाद से बीती तीन मई से राज्य में हिंसा हो रही है। इस हिंसा में अभी तक 175 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग अपने घरों से पलायन करके शरणार्थी कैंपों में रहने को मजबूर हैं। सुगाता बोस ने कहा कि ‘मणिपुर में हालात बेहद चिंताजनक हैं। अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है। यह राजनीतिक खेल बंद होना चाहिए।’
सुभाष चंद्र बोस के साथ आईएनए के लिए भी लड़ चुके हैं मणिपुरी
सुगाता बोस ने कहा कि केंद्र में निर्णय लेने में पूर्वोतर के बाकी हिस्सों की तरह मणिपुर को भी आवाज दी जानी चाहिए। इतिहास बताते हुए बोस ने कहा कि बड़ी संख्या में मणिपुरी युवा आईएनए के मार्च में शामिल हुए थे और बिष्णुपुर और उखरुल जिले के युद्धक्षेत्रों में कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थे। मणिपुर के इन स्वतंत्रता सेनानियों में राज्य के पहले सीएम एम कोइरेंग सिंह भी शामिल थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी साल 1944 में अपनी अग्रिम पंक्ति के सैनिकों से मिलने के लिए चुराचांदपुर के पास आईएनए शिविर का दौरा भी किया था। यहां उन्होंने कई ग्रामीणों से भी बात की थी।