महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे।
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महाराष्ट्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में जालना जिले में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे मराठा समुदाय के आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने जालना जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल खाड़े और अंबाद तहसील के उप प्रभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) मुकुंद अघव को निलंबित कर दिया।
राज्य सरकार की तरफ से मंगलवार को निलंबन का आदेश जारी किया गया। गृह विभाग द्वारा दो अलग-अलग निलंबन आदेश जारी किए गए हैं। निलंबन आदेश में कहा गया है कि खाड़े और अघव ने प्रथम दृष्टया महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियमों का उल्लंघन किया और अपने पदों का दुरुपयोग किया।
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर जालना जिले के अंतरवाली सराती में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने वाले मनोज जरांगे ने कहा था कि वह अपना अनशन तब तक खत्म नहीं करेंगे, जब तक अन्य बातों के अलावा, मराठा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को निलंबित नहीं कर दिया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को कहा कि जब तक महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने का आदेश जारी नहीं हो जाता है, तब तक वह अपना अनशन जारी रखेंगे। 40 साल के मनोज जरांगे मराठा समुदाय के लिए ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त से मध्य महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
जालना में प्रदर्शन स्थल पर मीडिया से बात करते हुए जरांगे ने कहा, ‘जब तक राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने का आदेश नहीं लाती, मैं अपना अनशन जारी रखूंगा। मैंने राज्य सरकार को अपना दोषपूर्ण आदेश वापस लेने के लिए मजबूर किया। मैं इस मुद्दे का स्थायी समाधान चाहता हूं।’
बता दें, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को मराठा आरक्षण पर चर्चा के लिए मुंबई में सर्वदलीय बैठक की थी। बैठक के बाद सीएम शिंदे ने कहा कि बैठक में शामिल सभी दलों ने एक प्रस्ताव पारित कर मनोज जरांगे से अपना अनशन वापस लेने का अनुरोध किया। साथ ही सीएम ने जालना जिले में मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज केस को वापस लेने की घोषणा की थी।