यूपी पुलिस
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
संभल के कैलादेवी थाना क्षेत्र के सोभापुर मिलक निवासी धर्मवीर की मौत सर्पदंश से नहीं हुई थी, बल्कि उसने पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की थी। धर्मवीर की मौत को सर्पदंश बताने वाले कैलादेवी थाना प्रभारी समेत चार पुलिसकर्मी एसपी देहात की जांच में दोषी पाए गए हैं। डीआईजी के आदेश पर एसपी संभल ने सभी को लाइन हाजिर कर दिया है। दोषी पाए गए पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच बिजनौर एएसपी को सौंपी गई है।
जांच में सामने आया है कि धर्मवीर और उसके गांव के अन्य लोगों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली से चामुंडा मंदिर में भराव डाला था। उन्होंने पुलिस कर्मियों से दस हजार रुपये में भराव डालने का ठेका लिया था। इसके लिए तीन हजार रुपये एडवांस दिए थे। इसके बाद धर्मवीर अन्य ग्रामीणों के साथ भराव डालने लगा। इस बीच पुलिस कर्मी वहां पहुंचे और ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत सभी को पकड़कर थाने ले आए थे। आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने यहां धर्मवीर की पिटाई की थी। 23 मई की रात धर्मवीर को छोड़ दिया गया था। धर्मवीर घर पहुंचा और उसने अपनी मां से बताया कि पुलिस कर्मियों ने उसकी पिटाई की है। सात हजार रुपये भी मांग रहे हैं। रकम न देने पर दोबारा पिटाई की धमकी दी है।
इसके बाद धर्मवीर बिना खाना खाए ही अपने निर्माणाधीन मकान में सोने चला गया। 24 मई की सुबह धर्मवीर अपने घर नहीं लौटा। धर्मवीर की मां सरवती देवी पशुओं को चारा डालने जा रही थीं। तब उसने बेटे का शव निर्माणाधीन मकान में लटका देखा। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस पहुंची और उन्होंने पंचनामा में सर्पदंश लिखकर मामले को दबाने का प्रयास किया। यही नहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सर्पदंश लिखवा लिया था। इसकी शिकायत शासन तक पहुंची तो डीआईजी शलभ माथुर ने एसपी देहात संदीप कुमार मीना से मामले की जांच कराई। जांच में पुलिस कर्मियों पर लगाए गए आरोप सही पाए गए। ग्रामीणों, परिवार के सदस्यों के बयान और मौका मुआयना के बाद एसपी देहात ने जांच रिपोर्ट डीआईजी को सौंपी। जांच में कैलादेवी थाना प्रभारी संजीव कुमार, दरोगा राशिद, हेड कांस्टेबल विनेश कुमार और कांस्टेबल अमित कुमार दोषी पाए गए हैं। चारों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। इसके अलावा डीआईजी ने सभी के खिलाफ विभागीय जांच एएसपी बिजनौर को सौंपी है।
सीओ और एएसपी को चेतावनी
डीआईजी शलभ माथुर ने बताया कि मामले में सीओ जितेंद्र सिंह, एएसपी श्रीशचंद्र की भूमिका सीधे तौर पर सामने नहीं आई है लेकिन उनके पर्यवेक्षण में लापरवाही सामने आई है। दोनों को चेतावनी दी गई है कि वह अपने क्षेत्र में अच्छा पर्यवेक्षण करें। अगर दोबारा इस तरह की लापरवाही सामने आएगी तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएमओ को लिखा जाएगा पत्र
डॉक्टर ने पंचनामा के आधार पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर दी, जबकि पोस्टमार्टम में जीभ बाहर निकलने का जिक्र किया गया था। सर्पदंश से मौत होने पर जीभ बाहर नहीं निकलती है। डीआईजी ने बताया कि इस संबंध में संभल सीएमओ को पत्र भेजा जा रहा है।