कांठ (मुरादाबाद)।
इस समय गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग दिखाई दे रहा है। इसे लेकर क्षेत्र के गन्ना उत्पादक किसान चिंतित हैं। उन्होंने गन्ने को इससे बचाव के उपाए किए जाने की मांग की है।
राजकीय कृषि रक्षा इकाई छजलैट के प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि अभी इस रोग की शुरुआत है। इसमें सबसे पहले गन्ने के अगोले की पत्तियों पर सिकुड़न आ जाती है और हल्के रंग के धब्बे भी दिखाई देते हैं। रोग बढ़ने पर संक्रमित पत्तियां मुरझाकर काली पड़ जाती हैं। पत्तियों का ऊपरी भाग सड़कर गिर जाता है, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है। रोग के इस अवस्था को क्लोरोटिक कहते हैं।
उन्होंने बताया कि पोक्का बोइंग रोग की दूसरी अवस्था सबसे खतरनाक मानी जाती है, जिसमें गन्ने के पौधे के ऊपर की सारी पत्तियां सड़कर गिर जाती हैं और ऊपरी हिस्सा नुकीला हो जाता है। रोग की इस अवस्था को टॉप रॉट या ऊपरी सड़न कहते हैं। तीसरी अवस्था को नाइफ कट अवस्था कहते हैं, इसमें ऊपर की पोरियां छोटी रह जाती हैं और उन पर चाकू जैसे कटे हुए निशान दिखाई देते हैं। रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने के बाद किसानों को लगातार खेतों का निरीक्षण करते रहना चाहिए।
पोक्का बोइंग रोग होने पर यह करें उपचार
रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50%, डब्ल्यू पी का 0.2 प्रतिशत (अर्थात एक लीटर पानी में दो ग्राम दवा की मात्रा) या कार्बेंडाजिम 50% डब्ल्यू पी का 0.1 प्रतिशत (अर्थात एक लीटर पानी में एक ग्राम दवा की मात्रा) का 15 दिन के अंतराल पर कम से कम दो बार छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार तीसरा छिड़काव भी कर सकते हैं। -अनिल कुमार, कृषि रक्षा इकाई प्रभारी, छजलैट