मुरादाबाद। करीब तीन साल पहले दरिंदगी का शिकार हुई किशोरी घर में ही कैद हो गई थी। लोगों के सामने आने और घर से बाहर जाने से वह घबराती थी। परिजनों के लाख समझाने के बाद भी उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। लोग मोबाइल देखते तो उसे लगता था कि कहीं उसकी वीडियो तो नहीं देखी जा रही है। पिता से भी बेटी की हालत देखी नहीं जाती थी।
वह दिन रात एक ही बात सोचते थे कि बेटी के दरिंदों को सजा दिलानी है। इस बीच पिता को समझौता के लिए लालच दिया गया। वह तैयार नहीं हुए तो धमकियां भी मिली लेकिन पिता ने ठान लिया था कि आरोपियों को उनकी करनी की सजा दिलानी है। मंगलवार को अदालत ने फैसला सुनाया तो वह भावुक हो गए। वह बोले, आज मुझे इंसाफ मिला है। अब चैन की नींद सो पाऊंगा।
पीड़िता का परिवार छजलैट के एक गांव में रहता है। पिता की गांव में थोड़ी सी खेती की जमीन है। बाकी वह मजदूरी करते परिवार का खर्चा चलाते हैं। पिता ने बताया कि उस वक्त बेटी पड़ोस के गांव में आठवीं कक्षा में पढ़ रही है। वह पढ़ाई लिखाई में अच्छी थी। परिवार को उम्मीद थी कि बेटी पढ़ेगी तो छोटी बहन और भाई भी आगे पढ़ पाएंगे लेकिन गांव के चार युवक बेटी के बारे में बुरा ही सोच रहे थे। घटना वाली रात आरोपियों ने गांव से बाहर पहले शराब पी। इसके बाद आरोपी घर में घुस गए और बेटी को उठाकर ले गए थे। आरोपियों ने उसके साथ दरिंदगी की। मोबाइल से वीडियो बना ली। बेटी ने एक सप्ताह तक किसी को कुछ नहीं बताया। किसी से ज्यादा बोलती भी नहीं थी। कई बार पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया था। इसी बीच गांव के एक व्यक्ति ने वीडियो दिखाई तो उसके होश उड़ थे। इसके बाद ही उसने सोचना था कि आरोपियों को सजा दिलानी है। पिता ने कोर्ट में लड़ाई जारी रखी। बेटी ने पढ़ाई तो छोड़ दी थी वह घर में रहती थी। उन्हें डर लगा रहा था कि कहीं बेटी घर में आत्मघाती कदम न उड़ा ले। इस लिए परिवार का एक सदस्य हमेशा उसका ध्यान रखता था। बेटी को इसी तरह समझाया और कुछ दिन पहले उसकी शादी कर दी थी। मंगलवार को इस मामले में फैसला आने पर पिता ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि अदालत से उन्हें इंसाफ मिलेगा।
शेष प्राकृतिक जीवन भी जेल में बिताना पड़ेगा
विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो कोर्ट चंद्र विजय श्रीनेत ने आदेश के निष्कर्ष में कहा कि पीड़िता के आंतरिक एवं बाह्य शरीर पर चोट के निशान न होने पर भी बचाव पक्ष को संदेह का लाभ नहीं दिया जा सकता। अभियुक्त अमित ने अपने मोबाइल में बनाई वीडियो को शेयर किया था। उसी मोबाइल को गांव के ही व्यक्ति को बेच दिया गया। मोबाइल और पैन ड्राइव पुलिस द्वारा अदालत में पेश की गई। जिसकी जांच प्रयोगशाला में कराई गई थी। जिसमें घटना की पुष्टि हुई है। साथ ही पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर ही चारों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा और शेष प्राकृतिक जीवन की सजा सुनाई है।
घटना के बाद से ही जेल में बंद हैं चारों दोषी
पिता की तहरीर पर छजलैट थाने में चारों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। तत्कालीन एसओ सुनील चौधरी ने चारों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद से आरोपी जेल में बंद हैं। पुलिस ने इस मामले में मजबूत चार्जशीट दाखिल की थी। जिसमें पीड़िता, गवाह, वादी और ग्रामीणों के भी बयान दर्ज किए थे। इसके अलावा मोबाइल और पैन ड्राइव भी चार्जशीट में शामिल की थी। इसके बाद आरोपियों ने निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक जमानत के लिए अपील की लेकिन आरोपियों को जमानत नहीं मिल पाई थी।