मुरादाबाद। छजलैट प्रकरण में दो साल की सजा पाए पूव विधायक अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को घटना के समय नाबालिग होने का दावा किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जनपद न्यायाधीश मुरादाबाद को आदेशित किया था कि वह इस मामले की सुनवाई कर अब्दुल्ला आजम के नाबालिग होने या न होने का निर्णय करें। जनपद न्यायाधीश ने इस मामले में दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर दिया था लेकिन अब्दुल्ला आजम को नोटिस तामील न होने की वजह से मंगलवार को सुनवाई नहीं हो पाई। अदालत ने इस मामले में 25 अक्तूबर को दोनों पक्षों को तलब किया है।
छजलैट में मार्ग अवरुद्ध करने और आम जनता को उकसा कर सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने के मामले में मुरादाबाद की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने इसी साल 13 फरवरी को आजम खां और अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा और प्रत्येक पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था जबकि मुरादाबाद देहात के पूर्व विधायक हाजी इकराम कुरैशी, बिजनौर की नूरपुर विधानसभा सीट के पूर्व विधायक नईम ऊल हसन, नगीना के विधायक मनोज पारस अमरोहा के विधायक महबूब अली, राजेश यादव, डीपी यादव, पूर्व महानगर अध्यक्ष राजकुमार प्रजापति को मुकदमे से बरी कर दिया गया था। इस मामले में जनपद न्यायालय में 21 फरवरी को अपील की गई थी।
अब्दुल्ला आजम ने अपनी अपील में कहा था कि वह घटना के वक्त नाबालिग थे। इस कारण से उनके मुकदमे की सुनवाई का अधिकार किशोर न्याय बोर्ड को था, न कि किसी अन्य अदालत को। इसी बात को लेकर अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिला शासकीय अधिवक्ता नितिन गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्राप्त होने के बाद मुरादाबाद जनपद न्यायाधीश डॉ. अजय कुमार ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर दिया था। मंगलवार को अब्दुल्ला आजम की ओर से कोई हाजिर नहीं हुआ। जिस कारण से अदालत ने पुनः नोटिस जारी करते हुए दोनों पक्षों को 25 अक्तूबर को अदालत में तलब किया है।