भोजपुर (मुरादाबाद)। दुल्हन बनकर डोली में विदा होने के सपने सजाए सिम्मी अपनों की आंखों में आंसू देकर इस दुनिया से विदा हो गई। बरात आने से पांच दिन पहले हुए हादसे के बाद डॉक्टरों को उसके दोनों पैर काटने पड़े थे। वह पिछले 14 दिन से दिल्ली के एम्स में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी। लाख कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उसे बचा न सके। मंगलवार दोपहर बाद उसका शव घर लाया गया तो परिवार के लोग फफक पड़े।
भोजपुर के के सिरसवां गौड निवासी रामचंद्र यादव की बेटी सिम्मी यादव की 11 जून को बरात आनी थी। छह जून को सिम्मी अपने तहेरे भाई के साथ लहंगा चुनरी खरीदने के लिए मुरादाबाद जा रही थी। सिरसवां दोराहे के पास सड़क पार करते समय मुरादाबाद से भोजपुर की ओर जा रही बस टक्कर से सिम्मी को टक्कर मार दी थी। उसके पैरों के ऊपर से बस के पहिए उतर गए थे। गंभीर रूप से घायल सिम्मी को परिजन कॉसमॉस अस्पताल लेकर पहुंचे थे, जहां से उसे दिल्ली रेफर कर दिया गया था। सड़क हादसे में सिम्मी के दोनों पैरों की हड्डियां चकनाचूर हो गई थी। दिल्ली एम्स चिकित्सकों ने सिम्मी को बचाने के लिए उसके दोनों पैर भी काट दिए थे, लेकिन चिकित्सकों की लाख कोशिश के बाद भी सिम्मी जिंदगी की जंग हार गई मंगलवार उसका शव घर आया गया तो परिजन फफक पड़े माता, पिता रामचंद्र यादव, बहन स्वाति, भाई प्रदीप व दीपक का रो-रोकर बुरा हाल था। शाम को गांव के श्मशान घाट में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। परिजन घर में रखे दहेज के सामान को देखकर बार-बार बेटी को याद कर रहे थे।