मुरादाबाद। भारतीय किसान यूनियन ने एमडीए के सामने प्रदर्शन कर 11 गांवों की भूमि अधिग्रहण योजना को रद्द करने की मांग की है। यूनियन के लोगों का दावा है कि 7210 किसानों ने योजना के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है। यदि सहमति नहीं है तो योजना कैसे कारगर होगी।
भाकियू के प्रदेश महासचिव डॉ. चरन सिंह के नेतृत्व में संगठन के लोगों ने एडीए कार्यालय पर प्रदर्शन कर सचिव को ज्ञापन सौंपा। यूनियन के लोगों का कहना था कि एमडीए ने जब 11 गांवों की जमीन अधिग्रहण की योजना बनाई। उसी समय से किसानों ने विरोध करना शुरू कर दिया था। इस मामले में एक बैठक के दौरान मंडलायुक्त और डीएम ने स्पष्ट कहा कि किसानों से सहमति के आधार पर जमीन ली जाएगी। इस मामले में 7210 किसानों ने योजना के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है। इसके अलावा डाक से भी आपत्तियां भेजी गई हैं।
ज्ञापन में प्रत्येक गांवों की सूची भी दी गई है। इन जमीनों पर दुकान और मकान सहित अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान बन चुके हैं। कुछ किसानों ने अपना कर्ज उतारने के लिए प्लॉट बेचे हैं। इस योजना को लागू करने से किसानों का काफी नुकसान पहुंचेगा। गांवों के प्रधानों ने भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को योजना के खिलाफ ज्ञापन भेजा है। किसानों का हित देखते हुए एमडीए को तत्काल 11 गांवों के अधिग्रहण की योजना को छोड़ना होगा। अन्यथा किसान सड़क पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष मनोज चौधरी, युवा प्रदेश प्रभारी (पश्चिमी उप्र) शुभम राठी, राष्ट्रीय सचिव डॉ. नौ सिंह, दीपक कुमार, मोहित चौधरी आदि लोग मौजूद थे।
बिचौलियों पर कार्रवाई की जाएगी
एमडीए के जमीन मामले में मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण किसानों की सहमति से जमीन से ले रहा है। जिसकी मंशा होगी। वहीं जमीन बेचेगा। इसमें कुछ बिचौलिए प्लाटिंग के चक्कर में बाधा बन रहे हैं। उनको चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। मंडलायुक्त ने कहा कि गांवों में जमीन खरीदने पर रोक लगा दी गई है। विकास कार्यों में किसी को बाधा नहीं बनने देंगे। अधिग्रहण ही नहीं तो विरोध कैसा हो रहा है। विरोध के पीछे और अन्य लोग लगे हैं। पता चला है कि बिचौलिए प्लाटिंग करने की मंशा रखते हैं। ऐसे लोगों पर कानूनी शिकंजा कंसेगा।