मुरादाबाद। झाड़ियों में मिली छह माह की बच्ची गौरी अपनों का इंतजार कर रही है। रामपुर के शिशु सदन में रह रही इस बच्ची को अब तक न तो मां का आंचल मिल पाया है और न ही पिता का साया। 20 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के पास आज भी वो ही जवाब है जो पहले दिन था। बच्ची के परिवार को ढूंढने का प्रयास जारी है।
12 जुलाई की रात करीब दस बजे मझोला थाने के सामने डीपीएस स्कूल जाने वाली सड़क से एक व्यक्ति गुजर रहा था। उसने सड़क किनारे झाड़ियों में किसी के रोने की आवाज सुनी थी। उसने मोबाइल की टॉर्च जगाकर देखा तो वहां बच्ची पड़ी थी। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी और बच्ची को उठाकर थाने ले गई। कंट्रोल रूम से लावारिस बच्ची के मिलने का मैसेज भी कराया गया था। पुलिस ने उस क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज तो जरूर खंगाली। लेकिन बच्ची को फेंकने वालों को नहीं ढूंढ पाई। इतना ही नहीं अब तक इस मामले में पुलिस की ओर से कोई केस भी दर्ज नहीं किया गया है। बच्ची रामपुर के शिशु सदन में दिन रात अपने मां बाप के आने का इंतजार कर रही है।
जन्म लेते ही रेत दिया था नवजात का गला
सिविल लाइंस के हिमगिरी कॉलोनी में चार जून 2020 को एक नवजात का शव मिला था। कुत्ते बच्चे का शव नोंच रहे थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि धारदार हथियार से उसका गला रेतकर हत्या की गई थी। इससे पहले मझोला क्षेत्र में लोकोशेड पुल के पास एक एक बच्चे का शव मिला था। इस बच्चे को भी हत्या करने के बाद यहां फेंका गया था। इन बच्चों को गैरों ने मौत के घाट उतारा था या या फिर अपने ही दुश्मन बन गए थे। अब पुलिस खुलासा नहीं कर पाई है।
बच्ची को फेंकने वालों की तलाश में पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली थी लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई। बच्ची के फोटो भी आस पड़ोस के जनपदों में भी भेजे गए। बच्ची को शिशु सदन भेज दिया गया था। परिवार की तलाश की जा रही है।
हेमराज मीना एसएसपी
गौरी को गोद दिए जाने की प्रक्रिया की जाएगी शुरू
बाल कल्याण समिति के सदस्य हरिमोहन गुप्ता ने बताया कि बच्ची सावन माह में मिली थी। इस लिए उसका नाम गौरी रखा गया है। अब तक किसी परिवार ने बच्ची को अपना होने का दावा नहीं किया है। बच्ची रामपुर के शिशु सदन में है। अब उसे गोद दिए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
स्मार्ट सिटी के कैमरे भी नहीं आए काम
शहर में स्मार्ट सिटी के तहत करोड़ों रुपये की लागत से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। लेकिन बच्ची को झाड़ियों में फेंकने वालों की तस्वीरें किसी भी कैमरे में कैद नहीं हो पाईं।
इस तरह बच्चा मिलने के बाद सबसे पहले थाने में नियुक्त चाइल्ड ऑफिसर की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उस बच्चे की गुमशुदगी जीडी मे दर्ज कराए। उसके बाद चाइल्ड लाइन को उस बच्चे को सुपुर्द करे। ऐसे मामलों में सरकार ने बाल कल्याण समिति का गठन किया है। जिसे सीडब्ल्यूसी भी कहा जाता है यह समिति की मुख्य जिम्मेदारी है वह उस बच्चे का ध्यान रखे। यदि समिति अपने कार्य को सही रूप से नहीं करती है तो प्रोबेशन अधिकारी एवं जिला अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। ऐसे मामलों में किसी प्रकार का कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता।
अनवर अली अधिवक्ता