मुरादाबाद। शासन की तरफ से चकबंदी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को राजस्व विभाग में स्थानांतरित किया गया है। इसको लेकर राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी संघ ने विरोध जताया है। संघ का दावा है कि तहसीलदार के समान चकबंदी अधिकारी का पद नहीं हो सकता है। शासन को इस निर्णय को वापस लेना चाहिए।
राजस्व (प्रशासनिक) अधिकारी संघ ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर चकबंदी विभाग के कर्मियों और अधिकारियों को राजस्व विभाग में प्रति नियुक्ति और सेवा स्थानांतरण किए जाने का विरोध किया है। इसमें नियम और शर्तों का विवरण नहीं दिया गया है। राजस्व विभाग में तहसीलदार का पद पदोन्नति के माध्यम से भरा जाता है। नायब तहसीलदार प्रशिक्षण प्राप्त करने और लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद तहसीलदार बनता है। इसमें शर्त यह रहता है कि उसने चार वर्ष तक सेवा की है या नहीं। तहसीलदार की नियुक्ति उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से माध्यम से सीधी भर्ती या चयन समिति के माध्यम से की जाती है।
तहसीलदार राजपत्रित अधिकारी होता है लेकिन चकबंदी अधिकारी राजपत्रित अधिकारी नहीं होता है। इस स्थिति में सहायक चकबंदी अधिकारी को नायब तहसीलदार के समकक्ष मानकर प्रतिनियुक्ति करना उचित नहीं है। दोनों विभागों की सेवा शर्तें भी अलग अलग हैं। चंकबंदी के कर्मियों को राजस्व विभाग के नियमों की जानकारी नहीं होती है।
चकबंदी विभाग के कर्मचारी काम पूरा करने में बिलंब करते हैं। इनकी शिकायत ग्रामीण करते रहते हैं। लेखपाल संवर्ग की भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की जाएगी। लेखपाल के 8085 पदों पर भर्ती के लिए नियुक्ति प्रक्रिया विचाराधीन है। चकबंदी विभाग के कर्मियों और अधिकारियों को स्थानांतरित करना राजस्व विभाग के लिए नुकसानदेह साबित होगा।