मुरादाबाद। जिले के सरकारी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के दो पद हैं लेकिन आज तक यहां डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो सकी। जरूरतमंद मरीजों को भी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ता है। जांच से लेकर इलाज तक की पूरी प्रक्रिया कई मरीजों को कर्ज में दबा देती है।
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में हर दिन औसतन ह्रदय रोग के ऐसे पांच मरीज आते हैं, जिन्हें निजी अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। अब तक जिले में सभी पात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड भी नहीं बन पाए हैं। ऐसे में कुछ मरीजों को दिल्ली एम्स की दौड़ लगानी पड़ती है तो कुछ मजबूरन निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं। यदि सरकारी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की तैनाती हो तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है। हालांकि कई बार अस्पताल प्रशासन की ओर से शासन को पत्र लिखकर डॉक्टरों की कमी के बारे में बताया गया है। इसके बावजूद कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखी। कुछ वर्ष पहले तक जिला अस्पताल में तैनात जनरल फिजिशियन डॉ. खरे ह्रदय संबंधी मामूली समस्याओं का उपचार करते थे। उनका तबादला होने के बाद मरीजों से यह लाभ भी छिन गया।
कोरोना के बाद युवाओं में बढ़ रहा ह्रदय रोग
ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग मेहरोत्रा का कहना है कि पहले हार्ट अटैक की समस्या 45 वर्ष के बाद देखने को मिलती थी। अब 30 की उम्र वालों में भी यह समस्या हो रही है। जिन मरीजों को कोरोना संक्रमण हुआ और उनके परिवार में माता या पिता में से कोई ह्रदय रोगी थे। उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिली है। ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक गोयल बताते हैं कि कुछ दिन पहले उनकी ओपीडी में कुछ लोग एक 25 वर्षीय युवक को लेकर पहुंचे। उसके सीने में तेज दर्द था, हालत काफी नाजुक थी। डॉक्टर ने ईसीजी किया तो पता चला कि युवक को दिल का दौरा पड़ा है। उन्होंने प्राथमिक स्तर पर उसे कुछ दवाएं दीं, जिससे आराम हुआ। एक दिन बाद उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। युवक ने बताया था कि उसके पिता भी दिल की बीमारी से पीड़ित थे। डॉक्टर का कहना है कि इसके अलावा भी युवाओं में ह्रदय रोग के कई मामले हैं।
इस तरह संकेत देता है हमारा दिल
– आए दिन सीने में दर्द और चुभन
– चलते चलते सांस फूलना
– कसरत करते समय ज्यादा परेशानी महसूस होना
– खाना खाने के बाद सीने में दर्द होना
– घबराहट, बेचैनी, हाई ब्लड प्रेशर