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मुरादाबाद। पवित्र मधुमास की नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष के अभिजीत मुहूर्त में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम अयोध्या में जन्मे तो राजा दशरथ के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। इसी तरह जनकपुरी के राजा विदेह ने जनता की परेशानी को दूर करने के लिए खुद हल चलाया तो उन्हें पुत्री के रूप में सीता मिलीं।
यह दृश्य लाइनपार रामलीला में मंचन के दौरान कलाकारों ने प्रदर्शित किया। श्री रामलीला मैनेजिंग कमेटी की ओर से यह आयोजन हो रहा है। मंचन में दिखाया गया कि अयोध्या पति राजा दशरथ संतान न होने पर दुख हीं। वह और उनकी तीनों रानियां इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा। चिंता दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ यज्ञ करने की सलाह देते हैं। राजा दशरथ को उस यज्ञ के प्रभाव से चार पुत्रों की प्राप्ति होती है। उनका नाम राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रखा जाता है। लोग नवजात शिशुओं के दर्शन के लिए महल में उमड़ पड़ते हैं।
दूसरे दृश्य में दिखाया कि राजा जनक के राज्य में सूखा पड़ गया। जनता भूख से तड़प रही थी लेकिन उनके मंत्री राजा से कह रहे थे कि आनंद ही आनंद है। जन समस्याओं के निराकरण के लिए राजा जनक ने स्वयं हल चलाया और सीता रूपी कन्या रत्न की प्राप्ति हुई। बुधवार को लीला को यहीं विश्राम दे दिया गया। बृहस्पतिवार को राम जी की शिक्षा-दीक्षा, ताड़का वध व अहिल्या उद्धार की कथा का मंचन किया जाएगा। वैष्णवी कला मंच व कुंती कला संगम ग्रुप के कलाकार इस रामलीला में मंचन कर रहे हैं। इस मौके पर श्री रामलीला मैनेजिंग कमेटी के महामंत्री राजीव कुमार बंसल, रोहित बंसल, कलाकार राहुल आदि मौजूद रहे।