मुरादाबाद। दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी ने शनिवार को इलाहबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति का स्वागत किया। स्वागत समारोह में समस्त न्यायिक अधिकारी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सम्मानित करते हुए न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को समय की कीमत बताई।
न्यायमूर्ति ने कहा कि गरीब व्यक्ति को जब कहीं से भी न्याय नहीं मिल पाता तो वह अदालत की ओर देखता है। हमें उस गरीब व्यक्ति को न्याय दिलाने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
दि बार एसोसिएशन एंड लाइब्रेरी के एसपी गुप्ता हाल में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता बार अध्यक्ष अशोक कुमार सक्सेना एवं संचालन महासचिव अभय कुमार सिंह ने किया। इस दौरान जनपद न्यायाधीश अजय कुमार ने कहा कि किसी भी बार एसोसिएशन के लिए यह गौरव की बात है कि वह अपने बार के पूर्व सदस्य रहे न्यायमूर्ति को सम्मानित करे।
न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि उनके पिता शैलेंद्र जौहरी के समय से पूर्व ही मुझे इस बार का स्नेह प्राप्त होता रहा है। मैंने अपने पिता और सीनियर्स से समय की कीमत सीखी है। उन्होंने आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले बच्चों को ग्यारह हजार रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया। साथ ही पचास वर्ष से अधिक समय की वकालत कर चुके अधिवक्ताओं को स्मृति चिन्ह एवं शाल पहना कर सम्मानित किया जिनमें मुख्य रूप से मुख्तार अहमद, रमा शंकर गुप्ता, रविन्द्र कुमार गुप्ता, विजय कुमार गुप्ता, महेन्द्र सिंह यादव, सुभाष चंद्र गर्ग, श्याम सुंदर अरोड़ा, सुधीर गुप्ता, नरेश स्वरूप माथुर, अनिरुद्ध कुमार सिंह, पुष्प कुमार जैन, जगदीश शरण, महेश चंद्र त्यागी, मनीष चंद्र गुप्ता, किशन स्वरूप भटनागर, रवि कांत भटनागर, खेम चंद बंसल, सर्वेश शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, सतीश चंद्र गुप्ता दिलीप कुमार पोरवाल शामिल रहे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुनील कुमार सक्सैना, सुरेश चंद गुप्ता, हरि शंकर आर्य, अभिषेक भटनागर, खलील अहमद आदि उपस्थित रहे।
न्यायिक अधिकारियों को समय से कार्य करने की दी नसीहत
न्यायमूर्ति ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी को समय पर अपने कार्य स्थल पर आना चाहिए। न्यायिक अधिकारी जब समय पर अपनी अदालत में आएंगे तब अधिवक्ता भी समय से आकर मुकदमे की पैरवी करेंगे। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि बहुत ज्यादा तकनीकी बिंदुओं पर जाए बगैर इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वादकारी को यथाशीघ्र न्याय मिले। क्योंकि वह सब जगह से परेशान होकर ही अदालत में आता है।