मुरादाबाद। यूं तो चीजों को अक्सर भूल जाना आम बात है लेकिन महत्वपूर्ण चीजें भी याद नहीं रहतीं तो यह खतरनाक है। ऐसा ही होता है भूलने की बीमारी अल्जाइमर में। बुजुर्गों में यह बीमारी होती है तो इसे डिमेंशिया कहा जाता है। इसमें व्यक्ति रखी हुई चीजों को भूल जाता है। उसे कुछ देर पहले कही हुई बात याद नहीं रहती। यहां तक कि अपनों के चेहरे भी भूलने लगता है।
मुरादाबाद में न्यूरो विशेषज्ञों के पास हर माह ऐसे चार मामले आ रहे हैं। इस बीमारी में परिवार का साथ किसी इलाज से कम नहीं है। परिवार लोग मरीज को हौसला देते हैं चीजों को याद रखने में उसकी मदद करते हैं। चीजों को बार बार याद दिलाने, करीबी लोगों का जिक्र करते रहने से मरीज की स्मरण शक्ति बनी रहती है। डॉक्टरों का मानना है कि मस्तिष्क में असामान्य प्रोटीन एकत्र होना इसका मुख्य कारण है। समय के साथ मरीज की स्थिति खराब होती चली जाती है, और व्यक्ति अपने परिवार या दोस्तों तक को याद नहीं रख पाता। यह बीमारी कई जोखिमों के कारण हो सकती है। इनमें उम्र (उम्र के साथ बढ़ता जोखिम), आनुवंशिकी (पारिवारिक इतिहास), और हृदय का स्वास्थ्य, आहार एवं शारीरिक गतिविधि जैसे कारण हो सकते हैं।
शुरुआत में पहचान जरूरी
अल्जाइमर रोग को शुरू में ही पहचानना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे इसके नियंत्रण में मदद मिलती है। इसके निदान के लिए मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण जरूरी हैं। साथ ही एमआरआई या पीईटी स्कैन जैसी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। आनुवंशिक परीक्षण विशेषकर ऐसे मामलों में किया जाता है, जब मरीज के परिवार में अल्जाइमर रोग का इतिहास रह चुका हो। डॉ. अंकित सिंघल के मुताबिक इसे खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन दवाओं से बीमारी नियंत्रण में रहती है।
अल्जाइमर के कारण
नींद की कमी
लगातार सिर में दर्द होना या माइग्रेन
चिंता या डिप्रेशन
इन उपायों से नियंत्रण में रहेगा अल्जाइमर
मानसिक व्यायाम से चुस्ती बनी रहेगी
हर दिन रंग बिरंगे कपड़े पहनने से दिमाग के रसायन सक्रिय रहते हैं
स्वस्थ जीवनशैली व संतुलित खानपान
परिवार और दोस्तों का साथ
डायरी लेखन इसमें काफी मददगार है