Moradabad News: पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हो गया नाम तो बर्बाद हो जाएगा भविष्य

Moradabad News: पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हो गया नाम तो बर्बाद हो जाएगा भविष्य


मुरादाबाद।

11वीं और 12वीं के समय विद्यार्थियों को अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाना चाहिए। कोई भी ऐसा गलत काम न करें, जिससे उनका नाम पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि सरकारी नौकरी से तो वंचित होंगे ही, बड़ी निजी कंपनियों में भी उन्हें जॉब नहीं मिलेगी। ये जानकारी विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि एसएसपी हेमराज मीना ने दी। उन्होंने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया।

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से चित्रगुप्त इंटर कॉलेज में पुलिस की पाठशाला कार्यक्रम आयोजित किया गया था। एसएसपी हेमराज मीना ने कहा कि पुलिस की मदद लेने का सबसे अच्छा माध्यम 112 हेल्पलाइन नंबर है। इसके माध्यम से ही फायर सर्विस और एंबुलेंस की भी मदद मिल जाती है। 1090 हेल्पलाइन नंबर महिलाओं की मदद के लिए है। साइबर संबंधी शिकायत 1930 नंबर पर की जा सकती हैं। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के लिए यूपी कॉप एप की मदद ली जा सकती है। इस दौरान प्रधानाचार्य वीर सिंह, चंद्रमोहन, तारा सिंह, जसवंत कुमार, विकास त्यागी, विशाल अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

सवाल. चालान के बाद गाड़ी सीज क्यों कर दी जाती है।

जवाब. गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं होगा तो उसे सीज कर दिया जाता है। इसके बाद वह गाड़ी कोर्ट के आदेश के बाद ही मिलती है।

सवाल. किसी आरोपी को 24 घंटे हवालात में क्यों रखा जाता है।

जवाब. आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाती है। जांच में यदि वह व्यक्ति निर्दोष मिलता है तो छोड़ दिया जाता है, लेकिन यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है।

सवाल. चालान से मिलने वाले रुपये कहां जाते हैं।

जवाब. यह पूरा धन कोषागार में जमा हो जाता है। इससे यह सरकार के पास चला जाता है। बाद में सरकार इसी धन से विकास योजनाओं के लिए बजट जारी करती है।

सवाल. आईपीएस और आईएएस में क्या अंतर है।

जवाब. आईपीएस अधिकारी अपराध नियंत्रण और कानून का पालन करवाने का कार्य करता है। वहीं आईएएस अधिकारी की जिम्मेदारी सरकार की विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की होती है।

सवाल. यूपीएससी को पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण करने के लिए क्या करना चाहिए।

जवाब. स्नातक द्वितीय वर्ष से ही उसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। स्नातक के बाद एक साल का समय पूरी तरह से तैयारी को देना चाहिए। अच्छी तैयारी, बेहतर प्रस्तुतिकरण के माध्यम से पहले ही प्रयास में सफलता मिल जाती है।



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