मुरादाबाद। पिछले कई दिनों से उफनाई चल रही रामगंगा का जल स्तर खतरे के निशान से सिर्फ 29 सेंटीमीटर नीचे रह गया है। इसके चलते पीतलनगरी से ग्राम रौंडा, रौंडा से मूंढापांडे और रायभूड़ से मलकपुर सेमली जाने वाले मार्ग पर उफनाई रामगंगा का पानी तीन से चार फिट तक बहने के कारण संबंधित मार्गों पर आवागमन ठप है।
पिछले एक सप्ताह से रामगंगा का जल स्तर घटने खतरा निशान के इर्द-गिर्द तक मंडरा रहा है। बुधवार सुबह आठ बजे रामगंगा का जल स्तर 190.40 सेंटीमीटर तक पहुंच गया था। इससे नदी खतरे के निशान से सिर्फ 20 सेंटीमीटर नीचे रह गई थी। लेकिन इसके बाद से धीरे-धीरे पानी उतरना शुरू हो गया। इसके बाद दोपहर दो बजे नदी का जल स्तर 190.31 हो गया। नदी का जल स्तर बढ़ा होने के कारण नदी किनारे स्थित एक दर्जन गांव के किसानों के खेतों में अभी भी उफनाई शारदा का पानी भरा होने से उनकी फसलों के नष्ट होने का खतरा सता रहा है।
बाढ़ खंड के सहायक अभियंता सुभाष चंद्र ने बताया कि रामगंगा का जल स्तर पिछले कई दिनों से बढ़ा हुआ चल रहा है। इससे निकटवर्ती कुछ गांवों के संपर्क मार्गों पर पानी बहने के कारण यातायात प्रभावित है। उन्होंने बताया कि रामगंगा का जल स्तर अब धीरे-धीरे घटने लगा है।
हरपाल नगर में कटान जारी, रनिया ठेर में थमा
कोसी नदी का जल स्तर घटा है, लेकिन इसके बावजूद मूुंढापांडे क्षेत्र के ग्राम हरपाल नगर में बचाव कार्य के कारण कटान की गति कुछ धीमी पड़ी है, लेेकिन इसके बावजूद करीब दो मीटर कृषि भूमि और नदी में समा गई। इसी के साथ नदी और आबादी के बीच यहां फासला करीब 48 मीटर रह गया है। वहीं रनियाठेर में बचाव कार्य के बाद कटान फिलहाल थम गया है। लेकिन दोनों ही स्थानों पर बाढ़ खंड के अधिकारी बचाव कार्य कराने में जुटे हुए हैं।
पिछले कई दिनों से उफनाई चल रही कोसी नदी का जल स्तर कम हुआ है। मंगलवार को इस नदी में 12 हजार क्यूसेक पानी पास हो रहा था जो बुधवार घट कर आठ हजार क्यूसेक रह गया है। लेकिन इसके बादवजूद गांव में कब्रिस्तान समेत दस ग्रामीणों की करीब 30 बीघा फसल को लीलने के बाद नदी द्वारा गांव की आबादी की ओर किया जा रहा कटान पूरी तरह थमा नहीं है। बाढ़ खंड विभाग द्वारा मंगलवार से नदी में झाड़झंकाड़ डाल कर नदी कटान को रोकने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसके बाद भी हरपालनगर में कृषि भूमि का कटान जारी है। नदी ने यहां करीब दो मीटर और कटान किया है। अब नदी और गांव की आबादी के बीच करीब 48 मीटर का फासला रह गया है।
वहीं रनियाठेर में वीरेंद्र के घर की चहारदीवारी के नदी में समाने के बाद यहां शुरू किए गए बचाव कार्य के कारण नदी कटान थम गया है। मौके पर मौजूद बाढ़खंड के सहायक अभियंता सुभाष चंद्र ने बताया कि रनियाठेर गांव की आबादी की ओर कटान थम गया है। वहां रेत, मिट्टी की बोरियां भर कर लगाई जा रही हैं। यह कार्य अभी जारी रहेगा।