मुरादाबाद।
निकाय चुनाव भले ही समाप्त हो गया लेकिन समाजवादी पार्टी के महानगर संगठन में अंदरूनी घमासान बरकरार है। पार्टी खेमों में बंटकर काम कर रही है। पार्टी के लोगों का कहना है कि इसका विपरीत असर आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी पर भी पड़ सकता है।
निकाय चुनाव में पार्टी के जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष घोषित किए गए थे। इस बीच टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में घमासान शुरू हो गया। परिणाम यह निकला कि निकाय चुनाव में पार्टी के मेयर प्रत्याशी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। 70 सदस्यों वाले मिनी सदन में सपा के सिर्फ दो सदस्य चुनाव जीत सके। एक सदस्य को निर्विरोध चुन लिया गया था। इस बड़ी हार से भी सपा ने सबक नहीं लिया। कार्यकारिणी चुनाव के दौरान महानगर अध्यक्ष इकबाल अंसारी और शीरीगुल ने नामांकन भरा। संयोग ही था कि कांग्रेस के एक सदस्य द्वारा नामांकन दाखिल नहीं करने और बसपा के चुनाव नहीं लड़ने के कारण सपा की इज्जत बच गई। इस बीच सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के जन्मदिन पर भी पार्टी में एका नहीं रही।
अलग अलग गुटों में लोग कार्यक्रम करते रहे। महानगर, जिला स्तर के अलावा पूर्व महानगर अध्यक्ष ने अलग अलग कार्यक्रम किए। अभी लोकसभा का चुनाव होने वाला है। भाजपा, बसपा, कांग्रेस चुनाव की तैयारी के लिए संगठन को मजबूत करने में लगे हैं। वहीं जिले की सबसे मजबूत पार्टी मानी जानेवाली सपा खेमों में बंटी हुई है। यहीं कारण है कि पार्टी के संगठन का विस्तार भी अधर में लटका हुआ है। इस बारे में सपा के जिलाध्यक्ष डीपी यादव का कहना है कि वह सभी पर नजर रख रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।