मुरादाबाद। जिगर मंच पर सोमवार की रात सूफी नाइट में मुश्ताक अली ने समा बाधां और लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने दम मस्त कलंकदर, मोसे नैना मिलाइके, ऐसी पोशाक मेरे यार ने पहनाई पर जब सुर लय की जुगलबंद हुई तो तालियां गूंज उठीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा, डा. अनुराग अग्रवाल, डा. मनोज अग्रवाल और प्रभारी प्रदर्शनी राहुल शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सूफी गायक मुश्ताक अली ने जिगर मंच पर शुरुआत जिगर मुरादाबाद की गजल यह है मयकदा से की। इसके बाद सूफी कलाम सुनाना शुरू किए। उन्होंने अपने कलाम ने समा बांध दिया। छाप तिलक सब छीनी, ऐ री सखी री मोरे पिया घर आये पर तो स्रोत भी वाह-वाह करते हुए दिखाई दिए। नजर बिजनौरी ने भी शानदार प्रस्तुति दी। मुंबई से आए दिलशाद वारसी ने अपनी सुरीली आवाज में सुख के सब साथी दुख में न कोई हे राम प्रस्तुत किया तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया इसके बाद उन्होंने एक और प्रस्तुति तू ना जाने क्या कयामत ढा ए दिल पर तेरी याद से कार्यक्रम में समा बांधा।
मुस्ताक अली ने कहा कि सूफियत हिंदुस्तान से खोती जा रही है, जबकि यह संगीत की धड़कन है। अच्छी बात यह है कि वर्तमान में युवा सूफी को पसंद कर रहे हैं। आने वाले समय के लिए यह राहत वाली बात है। कव्वाली हिंदुस्तान का रंग है और यह कायम रहना चाहिए। मुरादाबाद में हो रहे कार्यक्रम जैसे अन्य कार्यक्रम होंगे तो इसको बढ़ावा मिलेगा। अन्य कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता।
संचालन शायर नजर बिजनौरी एवं शबनम ने किया। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह भी कार्यक्रम में रहे। सूफियाना गजलें सुनने के लिए देर रात तक लोगों की भीड़ जमा थी। इस मौके पर डा जी कुमार, डा विनोद कुमार, आबिद हुसैन, डा. प्रदीप शर्मा, डा मधुबाला त्यागी, संजीव आकांक्षी, फिरदौस, परवेज नाजिम आदि मौजूद रहे।