25 मई को एमपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षाओं का रिजल्ट जारी हुआ। इसके बाद दमोह की गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल द्वारा छात्रों के परीक्षा परिणाम का एक पोस्टर लगवाया गया। इस पोस्टर में स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं ने हिजाब की तरह दिखने वाला एक कपड़ा अपने सिर पर लपेटा हुआ है। इसमें गैर मुस्लिम छात्राएं भी शामिल थीं। पूरा विवाद इसी कपड़े को लेकर शुरू हुआ।
इससे पहले स्कूल पर धर्मांतरण के आरोप लग चुके हैं। खबर फैली तो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट किया था। दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने मामले की जांच भी कराई। जांच में धर्मांतरण की बात साबित नहीं हुई। हालांकि, 31 मई को नए मामले में मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए।
दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल के मुताबिक, मामले की खबर मिलने के बाद उन्होंने कोतवाली टीआई और कुछ अधिकारियों को मिलाकर एक टीम बनाई। उसने इस पूरे मामले की जांच की। अभिभावकों से बात हुई। स्कूल प्रबंधन से भी बात हुई। धर्मांतरण का मामला कहीं सामने नहीं आया।
हालांकि, मामला यहीं नहीं थमा दमोह के हिजाब मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बाद एक जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने घटना को लेकर भारी नाराजगी जताई और कहा कि प्रदेश में इस तरह की हरकतें नहीं चलने दी जाएंगी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने दमोह कलेक्टर को पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिए। इसके बाद कलेक्टर अग्रवाल ने दोबारा एक जांच टीम बनाई जिसमें तहसीलदार, जिला शिक्षा अधिकारी और पुलिस अधिकारी शामिल थे। उन सभी की बनाई जांच रिपोर्ट को गृहमंत्री को भेजी गई।
दो जून को गंगा-जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई और इसकी मान्यता रद्द कर दी गई। इस बीच जांच भी जारी रही जिसके दौरान एक हिंदू छात्रा के पास हिजाब मिला। जिस पर स्कूल का लोगो अंकित है। दावों की मानें तो छात्राओं को यह स्कूल में दिया गया था। बिना इसे पहने स्कूल के अंदर इंट्री नहीं होती थी। इस बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए कोतवाली पुलिस ने स्कूल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले और उनकी सीडीआर अपने पास जब्त कर ली। सीसीटीवी कैमरे में ऐसे फुटेज मिले हैं, जिसमें बच्चों को जबरन हिजाब पहनाया जा रहा है। फुटेज के आधार पर पुलिस ने ऐसे शिक्षकों की पहचान की।
राज्य बाल आयोग की टीम भी स्कूल का निरीक्षण करने पहुंची। स्कूल में तीन शिक्षकों के धर्मांतरण का मामला भी सामने आया। स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने भी बताया कि स्कूल में उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। इसके अलावा स्कूल में भारत के नक्शे से भी छेड़छाड़ और टेरर फंडिंग का भी मामला सामने आया।
इस जांच में कई खुलासे होने के बाद सात जून को स्कूल के हिजाब और धर्मांतरण मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दमोह पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया। इसके बाद स्कूल के तीन बच्चों के बयानों के आधार पर पुलिस ने प्रबंधन समिति के 11 सदस्यों के खिलाफ धारा 295ए, 506 आईपीसी एवं जेजे एक्ट के तहत मामला दर्ज किया।
इसी दौरान स्कूल में शिक्षकों के धर्मांतरण और संचालकों के खिलाफ टेरर फंडिंग की शिकायत मिलने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। सीएम ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को जांच के आदेश दिए। गंगा-जमुना स्कूल के संचालक के कई कारोबार की जानकारी मिली। जिसकी आड़ में अवैध गतिविधियों को संचालित करने की शिकायत सामने आई।
जांच के बीच स्कूल द्वारा अवैध अतिक्रमण करने की सूचना मिलने पर नगर पालिका ने नोटिस जारी किया। 13 जून को पूरा प्रशासनिक अमला नगरपालिका कर्मचारियों के साथ स्कूल पहुंचा। रात करीब नौ बजे तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चलती रही। फिर बुधवार को भी कार्रवाई की गई।