Our Social Networks

MP Election: चुनाव के बाद BJP के दिग्गजों का क्या होगा? MP में रहेंगे या जाएंगे दिल्ली, जानिए पार्टी का प्लान

MP Election: चुनाव के बाद BJP के दिग्गजों का क्या होगा? MP में रहेंगे या जाएंगे दिल्ली, जानिए पार्टी का प्लान

[ad_1]

MP Election: What will happen to BJP stalwarts after the elections? Will you stay in MP or go to Delhi

दिल्ली नहीं लौटे तो राज्य की राजनीति में इनकी भूमिका क्या रहेगी?
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


भाजपा ने हारी सीटों पर कब्जा करने के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनावों में उतार दिया है। इससे राष्ट्रीय राजनीति में इनके कॅरियर पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है। सरकार बनने के बाद क्या यह दिल्ली लौट जाएंगे? यदि दिल्ली नहीं लौटे तो राज्य की राजनीति में इनकी भूमिका क्या रहेगी?  

भाजपा ने तीन किस्तों में अब तक 79 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। इनमें तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसद और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी शामिल है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना की दिमनी, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को नरसिंहपुर, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर क्षेत्र क्रमांक-1, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास, सांसद राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम, सांसद गणेश सिंह को सतना और सांसद रीति पाठक को सीधी से विधानसभा प्रत्याशी बनाया है। केंद्र की राजनीति करने वाले चेहरों को राज्य की राजनीति में उतारा गया है। भाजपा का यह कदम न केवल कांग्रेस बल्कि तमाम राजनीतिक पंडितों को भी चौंका रहा है। सवाल यह है कि पार्टी के इस निर्णय के पीछे की कहानी क्या है? यदि भाजपा चुनाव जीतेगी तो मुख्यमंत्री पद पर तो एक ही नेता बैठेगा, तब बाकियों का भविष्य क्या होगा? इसे लेकर अलग-अलग कयास लग रहे हैं। 

दिग्गजों को उतार किया बड़ा डैमेज कंट्रोल 

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 टक्कर का होने वाला है। इसे डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी में नए नेताओं के आने के बाद पुराने नेताओं की पूछ-परख कम हो रही थी। टिकट बांटने को लेकर भी नाराजगी और असंतोष है। पार्टी ने क्षेत्रीय कद्दावर नेताओं को प्रत्याशी बनाकर बगावत को रोकने का प्रयास किया है। इससे निराश कार्यकर्ता भी एक बार फिर अलग-अलग क्षेत्रों में पार्टी से जुड़ रहे हैं। बड़े नेताओं के समर्थक कार्यकर्ता भी जोश में दिखाई दे रहे हैं। 

 

कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव  

कांग्रेस ने अपने केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उताकर कांग्रेस पर भी मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया है। पार्टी अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर पा रही है। कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलना पड़ी है। भाजपा अभी और सांसदों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। इसी वजह से कांग्रेस अब भाजपा की अगली सूची का इंतजार कर रही है। 

सीएम और डिप्टी सीएम से कम पद मंजूर नहीं 

भाजपा के दिग्गजों के कद इतने बड़े हैं कि यदि चुनाव जीतते हैं तो मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री बनेंगे। प्रदेश में सिर्फ मंत्री नहीं बनेंगे। प्रदेश में लंबे समय से मुख्यमंत्री के साथ दो डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा चल रही है। इस पर कुछ नहीं हो सका। 

जिले की सीटों को भी जिताने की जिम्मेदारी 

भाजपा का फोकस जीत पर है। इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है। केंद्रीय मंत्रियों को पार्टी ने उनकी सीट के साथ ही जिले की बाकी सीटें जिताने की जिम्मेदारी दी है। यदि पार्टी जीतती है तो एक या दो को बड़े पद देकर प्रदेश में रख सकती है। बाकी अच्छा प्रदर्शन करने वाले नेताओं को इस्तीफा दिलाकर दोबारा लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। 

79 सीटों में से 76 सीटें पार्टी पिछली बार हारी 

भाजपा ने अब तक 79 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें 76 सीटें पार्टी पिछले बार हार गई थी। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और सांसद रीति पाठक को पार्टी ने जीती सीटों पर उतारा है। नरसिंहपुर में प्रहलाद के विधायक भाई जालम सिंह पटेल की रिपोर्ट सर्वे में ठीक नहीं आई थी। सीधी पेशाब कांड के कारण केदारनाथ शुक्ला की टिकट कटी है। बाकी केंद्रीय नेता और सांसदों को पार्टी ने हारी सीटों पर उतारा है।

 

[ad_2]

Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *