G-20 सम्मेलन में गूंजेगा मध्यप्रदेश का मैहर बैंड
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देश की राजधानी दिल्ली में नौ और 10 सितंबर को होने वाले 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन में आए अतिथियों को बंदूकों की नाल से निकलने वाले सप्त सुरों के संगीत की तान सुनाई जाएगी। इसकी प्रस्तुति के लिए सतना जिले के मैहर से खासतौर पर ज्योति को बुलाया गया है। संगीत सम्राट उस्ताद बाबा अलाउद्दीन खां ने बंदूकों की नाल से नल तरंग की रचना की थी। यह वाद्य विश्व में अनोखा है और मैहर घराने की खोज है। मैहर घराने में बंदूकों से बारूद की जगह संगीत निकालने की अनोखी कला विकसित की है, जिसे अब पूरा विश्व देखेगा और सुनेगा।
भारत जी-20 की मेजबानी करने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। विश्वभर से जी-20 शीर्ष नेता शनिवार से शुरू हो रहे वैश्विक समारोह में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवींद जगनाथ और नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद तिनुबू पहले ही राष्ट्रीय राजधानी पहुंच चुके हैं। अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष भी आज नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। इस बीच वैश्विक नेताओं का स्वागत करने के लिए राजधानी में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
इसमें विश्व के अग्रणी 20 देशों के नेता आर्थिक और विकास से जुड़े मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं। अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइइन आज नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। विश्व के नेता इस सम्मेलन में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा तथा स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु संकट और बहुआयामी विकास बैंको की क्षमताओं पर गंभीरता से विचार विमर्श करेंगे। विश्व के नेताओं के बीच मैहर की एक अद्भुत प्रस्तुति होगी, जिसमें संगीत सम्राट उस्ताद बाबा अलाउद्दीन खां द्वारा निर्मित नल तरंग की प्रस्तुति होगी।
बाबा अलाउद्दीन खान ने कई स्वनिर्मित राग बनाए। कुछ राग आज भी बजाए जाते हैं। रागों के अलावा वाद्य यंत्र भी बनाए। इसमें बंदूक की नली से बना ‘नल तरंग’ विश्व प्रसिद्ध है। इसे बंदूक की नाल को अलग अलग लंबाई और मोटाई पर काटा जाता है। फिर इसे बड़ी बारीकी से स्वर की निकलने वाली ध्वनि के अनुसार अंतिम रूप दिया जाता है। अंत में सभी स्वरों के अनुरूप इन नालों को करीने से रख कर बजाया जाता है। इसे आज भी मैहर बैंड में बजाया जाता है। जो पूरी दुनिया में मशहूर हुई। उन्होंने वाद्य वृंद को 278 कंपोजिशन्स दिए। जिसमें इंडियन-वेस्टर्न कल्चर का शास्त्रीय मिश्रण था। आज मात्र 36 कंपोजिशन्स बचे हैं।
मैहर वाद्य वृंद 1930 के दशक में महामारी के पीडि़तों की मदद के लिए अलाउद्दीन खां ने मैहर बैंड की स्थापना की थी। अज्ञात बीमारी से जूझ रहे असहाय और लावारिसों को लेकर टोली बनाई। उन्हें शास्त्रीय संगीत की तालीम दी। उस्ताद के नाती और सरोद वादक राजेश अली खां के अनुसार, असहाय लोगों को बैंड से जोड़ते हुए 18 संगीतकारों की टीम खड़ी की। टीम देशभर में प्रस्तुति देती रही है। अलाउद्दीन खां ने जल तरंग की तर्ज पर दुर्लभ बंदूक की नली से नल तरंग का अविष्कार किया।