भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने अपनी नई टीम की घोषणा कर दी है। इसमें मध्य प्रदेश से कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव और सौदान सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कायम रखा गया है। विजयवर्गीय लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त हुए हैं। डिंडौरी जिले से पूर्व विधायक ओमप्रकाश धुर्वे भी सचिव पद पर बने हुए हैं। मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता को जरूर सह-कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है।
विजयवर्गीय को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
कैलाश विजयवर्गीय के सिर हरियाणा विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का सेहरा बंधा था। तब से उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की टीम का हिस्सा माना जा रहा है। उसके बाद पश्चिम बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्य की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी। भले ही भाजपा बंगाल में सरकार नहीं बना सकी, लेकिन प्रमुख विपक्षी पार्टी बनकर चौंकाया जरूर। इसके बाद कयास लग रहे थे कि कैलाश विजयवर्गीय का प्रभाव कम होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्हें पार्टी ने न केवल राष्ट्रीय महासचिव बनाए रखा, बल्कि मध्य प्रदेश चुनावों में अहम जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी ने उन्हें इस साल होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की पॉलिटिकल विंग की कमान सौंपी थी। अब उन्हें फिर नई टीम में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी देकर संगठन में उनकी पूछ-परख कम होने की अटकलों को विराम लगा दिया है। विजयवर्गीय को चुनावी मैनेजमेंट का माहिर माना जाता है। मध्य प्रदेश के मालवा- निमाड़ में उनकी गहरी पकड़ है, जहां पार्टी का पूरा फोकस बना हुआ है।
हिमाचल की हार के बाद भी सौदान का वजन कायम
विदिशा के रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता सौदान सिंह को फिर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। सौदान सिंह संघ के करीबी हैं। एक दशक पहले राजनाथ सिंह के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री पद से इस्तीफा देकर चौंकाया था। संघ से लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मनाया और जिम्मेदारी कायम रखी थी। 20 साल तक उनके पास छत्तीसगढ़ का प्रभार रहा। पिछले साल उन्हें हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रभारी बनाया गया था। भले ही पार्टी चुनाव हार गई और सरकार चली गई, सौदान सिंह का प्रभाव कायम है। यही वजह है कि उन्हें अब भी उपाध्यक्ष कायम रखा गया है।
आदिवासी नेता के तौर पर धुर्वे का पद कायम
डिंडौरी जिले से पूर्व विधायक ओमप्रकाश धुर्वे को इस बार भी सचिव पद पर रखा गया है। धुर्वे अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। 2013 से 2018 तक विधायक रहे और पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी से हारे थे। मध्य प्रदेश में भाजपा का पूरा फोकस आदिवासी वोटरों पर है। आरक्षित सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन सत्ता में लौटने का रास्ता साफ करेगा। इसके अलावा धुर्वे का महाराष्ट्र में सह-प्रभारी के तौर पर प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। इसे देखते हुए उन्हें पद पर कायम रखा गया है। मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता को सह-कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने की वजह विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारी से जोड़ी जा रही है।